UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव पर अगर और टला फैसला तो क्या होगा, कब होंगे इलेक्शन?
यूपी नगर निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) का फैसला अगर शुक्रवार तक नहीं आता है तो फिर चुनाव कब होगा, ये सवाल उठने लगा है.
UP Nagar Nikay Chuanv 2022: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ (Lucknow) पीठ नगर निकाय चुनाव के मुद्दे पर गुरुवार को भी सुनवाई करेगी. इस मामले में बुधवार को सुनावई पूरी नहीं हो सकी. जिसके बाद पीठ ने चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने पर लगी रोक आगे बढ़ा दी है. हालांकि अब सवाल उठने लगा है कि अगर राज्य में चुनाव को लेकर फैसला और टला तो क्या होगा, क्योंकि कोर्ट में एक ही बार कई याचिकाएं डाली गई हैं.
न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवनिया की पीठ ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर रोक जारी रखने का आदेश बुधवार को पारित किया. इन याचिकाओं में सरकार के रैपिड सर्वे के आधार पर तैयार ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई है. हालांकि अब गुरुवार को अगर चुनाव को लेकर सुनावई खत्म होने के बाद फैसला नहीं आता है तो कोर्ट में विंटर वैकेशन शुरू हो जाएगा.
टल सकता है चुनाव
यानी 25 दिसंबर से कोर्ट में विंटर वैकेशन शुरू हो रहा है. वहीं नगर निकाय चुनाव को लेकर कई याचिकाएं एक साथ पड़ी हैं. इस वजह से सुनवाई में काफी समय भी लग रहा है. दूसरी ओर अगर सुनवाई शुक्रवार तक पूरी होकर फैसला नहीं आया तो फिर जनवरी में इस मामले की अगली सुनवाई होगी. इस वजह से निकाय चुनाव लंबा टलने की संभावना है.
वहीं सूत्रों की माने तो अगर कोर्ट का फैसला आने में वक्त लगता है तो राज्य में निकाय चुनाव अगले साल मार्च अप्रैल के दौरान होने की संभावना है. हालांकि दूसरी ओर आयोग हाईकोर्ट के फैसला का इंतजार कर रहा है. बताया जाता है कि आयोग ने चुनाव को लेकर अपनी ओर से तैयारियां पूरी कर ली है. अगर कोर्ट का फैसला आता है तो आयोग एक से दो दिनों में भी चुनाव का एलान कर सकता है.
जबकि बुधवार को जिन याचिकाओं के आधार पर रोक जारी रखी गई, उनमें सरकार के रैपिड सर्वे के आधार पर तैयार ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई है. मुख्य याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर एलपी मिश्रा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि राज्य को राजनीतिक पिछड़ापन के आधार पर ओबीसी की स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करना चाहिए. इस आयोग की रिपोर्ट और अन्य दिशानिर्देशों के आधार पर ओबीसी कोटा तय करना चाहिए.