UP Nagar Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में मामला चल रहा है. इसे लेकर सरकार कोर्ट को बता चुकी है कि इस चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार की ओर से अपनाई गई व्यवस्था उतनी ही अच्छी है, जितनी सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाया गया ‘ट्रिपल टेस्ट फार्मूला’ है. इसे लेकर सरकारी वकील ने कोर्ट से कहा कि इससे पहले भी चुनाव हुए उसमें कोई याचिका नहीं लगी. इसपर जज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
इसके जवाब में जज ने कहा कि अगर कोई ऑब्जेक्शन नहीं आएगा तो क्या आप कुछ भी करते रहेंगे. जज ने उनसे पूछा कि अगर आपके पास कोई डाटा है तो प्रस्तुत कीजिये. इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा कि आपने obc का डाटा कहां से लाया. कोर्ट ने इस मामले में फैसला रिजर्व रख लिया है. 27 दिसंबर को इस मामले में फैसला आ सकता है.
ट्रिपल टेस्ट फार्मूला सुप्रीम कोर्ट ने तय किया
पिछली सुनवाई में सरकार के जवाब पर पीठ ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि हम इस बात से असहमत हैं कि राज्य की व्यवस्था ट्रिपल टेस्ट जितनी अच्छी है. हमें उम्मीद थी कि राज्य सरकार यह कहेगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन कर स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए एक समर्पित आयोग गठित करेगी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फार्मूला में राज्यों के लिए यह आवश्यक किया गया है कि वे एक आयोग गठित कर समुदाय के आंकड़े एकत्रित करें. इसके अलावा स्थानीय निकाय में उन्हें दिया गया आरक्षण 50 फीसदी से अधिक न हो.
सरकार के हलफनामे के बाद मामले के कुछ याचिकाकर्ताओं ने भी अदालत में अपने जवाब दाखिल किए. इस बीच, इसी मुद्दे पर कुछ और याचिकाएं इस अदालत में दायर की गईं. याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में दलील दी गई है कि ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया. इस पर राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि इस मसले पर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन हाईकोर्ट राज्य सरकार से इस तर्क से संतुष्ट नजर नहीं आया और राज्य सरकार से ओबीसी आरक्षण का रिपोर्ट तलब की.
UP Nikay Chunav: 20 दिसंबर तक जारी नहीं होगी निकाय चुनाव की अधिसूचना, हाईकोर्ट ने इसलिए लगाया स्टे