UP Nagar Nikay Chunav 2022: मैनपुरी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को जो जीत मिली अब पार्टी उसी रणनीति के तहत चुनाव में जाने की अपनी योजना तैयार कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले स्थानीय निकाय चुनाव में इस स्ट्रेटजी का ट्रायल किया जाएगा और फिर इसे 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. क्या है वह रणनीति यह आपको बताते हैं.


मैनपुरी लोकसभा के उपचुनाव के दौरान सपा ने अपनी पुरानी रणनीति में बदलाव किया है. खासतौर से मैनपुरी में पार्टी ने कोई बड़ी जनसभा नहीं की, बल्कि उसके बजाय छोटी-छोटी जनसभाएं और जनसंपर्क पर ही ज्यादा फोकस किया गया. यानी कि पब्लिक से सीधा कनेक्ट बनाया गया. खुद अखिलेश यादव, डिंपल यादव और शिवपाल यादव हर कोई लोगों के घर-घर तक गए और उनसे सीधा संवाद किया. इस रणनीति का सपा को फायदा हुआ और मैनपुरी में डिंपल यादव दो लाख 88 हज़ार रिकॉर्ड मतों से जीती. इस जीत के बाद सपा ने इसी रणनीति को आगे आने वाले चुनाव में इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली है.


बदली हुई रणनीति के साथ अखिलेश
इसके तहत अब पार्टी के बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को लखनऊ में मुख्यालय से ज्यादा अपने-अपने जिलों में रहने के निर्देश दिए गए हैं और साथ ही वहां जनता से सीधा संपर्क करने के लिए कहा गया है. इसे अखिलेश यादव की बदली हुई रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है और खुद अखिलेश यादव अब इसी रणनीति पर आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. मैनपुरी चुनाव के नतीजे आठ दिसंबर को आए थे और उसके बाद लगभग दो हफ्ते का समय बीत जाने के बाद भी अखिलेश यादव बमुश्किल दो दिन ही पार्टी मुख्यालय पहुंचे हैं. बाकी ज्यादातर दिन उन्होंने अलग-अलग जिलों के दौरे करके ही बिताएं हैं.


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हालांकि बीजेपी साफ तौर पर कह रही है कि अखिलेश यादव अगर निकल रहे हैं बाहर तो कहीं ना कहीं इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को एसी से बाहर निकाला है, लेकिन वो केवल चुनाव के लिए बाहर निकल रहे हैं. सरकार में राज्य मंत्री सुरेश राही का साफ तौर पर कहना है कि अखिलेश यादव बीजेपी की रणनीति पर चल रहे हैं. लेकिन वो केवल चुनाव के लिए बाहर निकल रहे हैं. जबकि बीजेपी तो हमेशा ही जनता के बीच रहती है, चाहे चुनाव हो या ना हो.


नेताजी के कदम पर अखिलेश
दरअसल, शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को एक नया नाम 'छोटे नेताजी' दिया है. कहा जा रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव उनके ही रणनीति को अपना रहे हैं. मुलायम सिंह यादव भी लखनऊ से ज्यादा अलग-अलग जिलों में ही रहना और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करना पसंद करते थे. अब अखिलेश यादव भी इसी रणनीति को अपना रहे हैं. हालांकि बीजेपी अपना से ले रही है. सरकार में उर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर का साफ तौर पर कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहिए, क्योंकि अभी तक लोग सोचते थे कि राजनीति ऑफिस से होती है. लेकिन बीजेपी ने बताया है कि जनता के बीच जाकर उनकी समस्या सूचना ही असल राजनीति और यह भी कह रहे हैं कि इससे बीजेपी की तैयारी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.