UP Nagar Nikay Chunav 2023: यूपी के बलिया (Ballia) में निकाय चुनाव में नगर पालिका परिषद बलिया के चेयरमैन पद के लिए समाजवादी पार्टी द्वारा लक्ष्मण गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाये जाने की घोषणा के बाद अब समाजवादी पार्टी में बगावत शुरू हो गयी है. सपा से टिकट के लिए आवेदन करने वाले निषिद्ध श्रीवास्तव उर्फ निशु ने अपनी पार्टी से बगावत कर अब निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन करने का एलान कर दिया है. उन्होंने सपा का झंडा छोड़ कर बागी होने का झंडा गाड़ दिया है.
वहीं दूसरी तरफ सपा नेता संजय उपाध्याय भी नगर पालिका परिषद बलिया के अध्यक्ष पद के लिए टिकट पाने की उम्मीद में सपा के झंडा तले चुनाव प्रचार में जोर शोर से लगे हुए थे. मगर अब टिकट कट जाने से वे भी दुखी होकर लखनऊ रवाना हो गए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह अभी भी सपा के घोषित प्रत्याशी का टिकट कटवाने और खुद टिकट के जुगाड़ में जुटे हैं. सूत्रों की माने तो संजय उपाध्याय का भी टिकट नहीं बदला गया तो समाजवादी पार्टी से बगावत कर निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कर सकते हैं.
क्या कहा निषिद्ध श्रीवास्तव उर्फ निशु ने
सपा नेता निषिद्ध श्रीवास्तव उर्फ निशु ने अब सपा से बगावत कर विरोध का बिगुल फूंक दिए है और निर्दल नामांकन करने की बात कह रहे हैं. सपा से अपना टिकट कटने के बाद उन्होंने निर्दल प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने की घोषणा कर दी है. वे समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी लक्ष्मण गुप्ता के जीत की राह में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. निषिद्ध श्रीवास्तव की मानें तो मैं 20 सालों से पार्टी की सेवा कर रहा हूं और 5 सालों से नगर पालिका क्षेत्र की जनता की सेवा में लगा था. मैंने सपा के हर बड़े आंदोलन और कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है और एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए काम करता था.
जिलाध्यक्ष ने नहीं भेजा मेरा नाम- निषिद्ध
निषिद्ध ने सपा नेताओं पर आरोप लगते हुए दावा किया कि मेरे जिले से सपा के तमाम बड़े नेता आते हैं. उन सभी नेताओं ने मुझे टिकट के लिए आश्वासन दिया था, लेकिन जिलाध्यक्ष द्वारा मेरा नाम ही नहीं भेजा गया, यहां से केवल एक व्यक्ति का नाम ही भेजा गया, जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात किया था तो उन्होंने कहा था कि जिले से जितने लोगों का नाम आएगा उनमें ही चर्चा होगी और उन्हीं नामों में से किसी प्रत्याशी का नाम फाइनल होगा. मैं इसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को दोषी नहीं मानता हूं. जिलाध्यक्ष ने अगर मेरा नाम भेजा होता तो उसी में से नाम फाइनल होता और अगर मेरा नाम रिजेक्ट होता तो कोई बात नहीं होती. टिकट कटने के बाद मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करने का प्रयास किया मगर उनसे मुलाकात नहीं हो पाई.