UP Nagar Nikay Chunav News: यूपी में होने वाले निकाय चुनाव को सभी सियासी दल 2024 के लोकसभा चुनाव के रिहर्सल के रूप में देख रहे हैं. सभी दलों की प्रतिष्ठा इससे जुड़ी है, यही वजह है कि बीजेपी, सपा, बसपा, कांग्रेस सभी इसे लेकर अपनी अपनी रणनीति तैयार करने में लगे हैं. अगर पिछले नगर निकाय चुनाव को देखें तो नगर निगम महापौर में बीजेपी ने 16 में 14 और बसपा ने बाकी 2 सीटें जीती थी. वहीं सपा और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था. पिछले चुनाव में खास बात यह भी रही कि कांग्रेस का प्रदर्शन मुख्य विपक्षी दल सपा से बेहतर था. ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि नगर निगम मेयर की इन 16 मे से 5 सीटों पर सपा दूसरे स्थान पर थी. जबकि बात करें तो कांग्रेस 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर यानी उपविजेता रही.
वहीं कानपुर नगर, गाजियाबाद, मथुरा, मुरादाबाद, वाराणसी और सहारनपुर ये वो 6 नगर निगम थे जहां कांग्रेस ने सपा और बसपा दोनो को पीछे छोड़ दिया था. इसके अलावा अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली और लखनऊ ये वो 5 नगर निगम रहे जहां सपा कांग्रेस और बसपा को पीछे छोड़ दूसरे नंबर पर यानी उपविजेता रही थी. फिरोजाबाद एक ऐसी सीट रही जहां एआईएमआईएम प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था.
अब बात करते हैं बीजेपी और बसपा की, अलीगढ़ और मेरठ ये दो ऐसी सीट रही जहां बसपा जीती और बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी. पिछली बार नगर पालिका के 198 और नगर पंचायतों की 438 सीटों पर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था. बीजेपी ने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष की 70 और नगर पंचायत अध्यक्ष 100 सीटें जीती थीं. वहीं सपा के 45, बसपा के 29 और कांग्रेस के 9 नगर पालिका चेयरमैन बने थे.वहीं नगर पंचायतों की बात करें तो सपा के 83, बसपा के 45 और कांग्रेस के 17 अध्यक्ष बने थे.
अब बात करते हैं इस बार की रणनीति पर. इस बार सपा का रालोद के साथ गठबंधन है ऐसे में सपा अपना समीकरण बेहतर करने के लिए तैयारी कर रही है और लगातार बैठकें चल रही हैं मंथन हो रहा है. बसपा ने पिछली बार 2 सीटें जरूर जीती थीं लेकिन बाद में मेरठ से महापौर सुनीता वर्मा ने पार्टी बदल ली. ऐसे में बसपा प्रत्याशी चयन में खास ध्यान दे रही है. बसपा ने 2 अप्रैल को यानी कल एक बड़ी बैठक भी बुलाई है. इसमें प्रदेश पदाधिकारियों के साथ ही सभी जिलाध्यक्षों को भी बुलाया गया है. इस बार निकाय चुनाव में बसपा युवाओं और महिलाओं को लेकर बड़ा प्रयोग करने की तैयारी में है.
निर्दलीय उम्मीदवारों पर रहेगा फोकस
इसके साथ ही अब बात कांग्रेस की करते हैं. कांग्रेस के प्रत्याशी सबसे ज्यादा सीटों पर उपविजेता थे ऐसे में कांग्रेस इस बार अपनी वापसी के संकेत देने के लिए मेहनत में जुटी है. राजनीतिक दलों का फोकस निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी रहेगा. साल 2017 के चुनाव में नगर पालिका अध्यक्ष पद पर 43 और नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर 182 निर्दलीय जीते थे. वहीं बात बीजेपी की करें तो इस बार अपनी स्थिति को बरकरार रखने या बेहतर करने की चुनौती है. हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इसे लेकर बड़ी बैठक भी की थी. पार्टी जल्द ही निकाय चुनाव को लेकर जिले के प्रभारियों की नई सूची भी जारी कर सकती है.