UP Nikay Chunav Date Highlight: यूपी निकाय चुनाव की तैयारी तेज, जारी होगी आरक्षण की लिस्ट, BSP हुई एक्टिव
UP Nikay Chunav 2023 Date Highlight: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का एलान किसी भी दिन हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव को हरी झंडी दे दी है.
बहुजन समाज पार्टी के निकाय चुनाव में प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी महिलाओं को देगी. बसपा प्रत्येक बूथ पर महिला विंग तैयार कर रही है.
बीएसपी ने यूपी निकाय चुनाव के प्रचार की जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपने का फैसला किया है. पार्टी हर बूथ पर महिला टीम बनाएगी.
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए तैयारी सभी पार्टियों ने तेज कर दी है. वहीं बीएसपी ने भी राज्य में चुनाव के तैयारी के लिए महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला किया है.
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए सभी मुद्दों पर विचार करने के वास्ते पांच सदस्यीय आयोग नियुक्त किया था.
राज्य सरकार ने कहा था कि उसने स्थानीय निकायों में विभिन्न पिछड़ी जातियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए कोटा के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए शीर्ष अदालत के फैसलों के अनुसरण में उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था.
शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी कोटा देने से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति को पहले निर्धारित किए गए छह महीने के बजाय तीन महीने (31 मार्च तक) के भीतर अपनी कवायद पूरी करनी होगी.
शीर्ष अदालत ने चार जनवरी को, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए बिना किसी आरक्षण के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी.
पीठ ने कहा, 'सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि रिपोर्ट 9 मार्च, 2023 को मंत्रिमंडल को सौंप दी गई है. स्थानीय निकाय चुनावों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है और यह दो दिन में की जाएगी. याचिका का निस्तारण किया जाता है. इस आदेश से संबंधित निर्देश मिसाल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए नहीं है.'
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत ने 4 जनवरी, 2023 के एक आदेश में उल्लेख किया कि इस अदालत के फैसलों के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना के लिए दिसंबर 2022 में एक अधिसूचना जारी की. हालांकि, आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, लेकिन इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था.’’
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया और राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी.
बैकग्राउंड
UP Nagar Nikay Chunav 2023 Date Highlight: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का एलान बुधवार होने की संभावना है. इसस पहले उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी (OBC) कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी थी.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत ने 4 जनवरी, 2023 के एक आदेश में उल्लेख किया कि इस अदालत के फैसलों के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना के लिए दिसंबर 2022 में एक अधिसूचना जारी की. हालांकि, आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, लेकिन इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था.’’
पीठ ने कहा, 'सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि रिपोर्ट 9 मार्च, 2023 को मंत्रिमंडल को सौंप दी गई है. स्थानीय निकाय चुनावों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है और यह दो दिन में की जाएगी. याचिका का निस्तारण किया जाता है. इस आदेश से संबंधित निर्देश मिसाल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए नहीं है.' शीर्ष अदालत ने चार जनवरी को, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए बिना किसी आरक्षण के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी.
इसने यह भी आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी कोटा देने से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति को पहले निर्धारित किए गए छह महीने के बजाय तीन महीने (31 मार्च तक) के भीतर अपनी कवायद पूरी करनी होगी. राज्य सरकार ने कहा था कि उसने स्थानीय निकायों में विभिन्न पिछड़ी जातियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए कोटा के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए शीर्ष अदालत के फैसलों के अनुसरण में उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था.
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