UP Nagar Nikay Chunav 2023: यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर सभी दल अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं. लखनऊ से सपा की महापौर प्रत्याशी वंदना मिश्रा (SP Mayor Candidate Vandana Mishra) ने कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मुझ पर भरोसा किया इसके लिए धन्यवाद. मैं अच्छा करके दिखाऊंगी. लखनऊ (Lucknow) तहजीब का शहर है. यहां आजादी की लड़ाई बेगम हजरत महल के नेतृत्व में लड़ी गई थी. उदा देवी ने पेड़ पर चढ़कर 32 अंग्रेजों को मार दिया था. ऐसी परंपरा वाले शहर की महिलाओं को नाजुक कहा जा रहा है, ये गलत इतिहास है. मैं इसे सही करने की कोशिश करूंगी. बीजेपी से कड़ी टक्कर पर उन्होंने कहा, कोई वोट किसी का नहीं होता. अगर ऐसा होता तो सरकारें नहीं बदलतीं. वोटर किसी का बंधुआ मजदूर नहीं है. वोटर अपने विवेक से वोट देता है. कई बार वोटर अनर्गल प्रचार में आ जाता है, लेकिन जब उसे समझ में आता है तो वह सही चुनाव करता है. सुबह से शाम तक जब एक प्रचार चलता रहेगा तो लोग उसमें आ जाते हैं.


वंदना मिश्रा ने कहा कि मैं राजनीति में जात पात नहीं देखती. उन्होंने कहा, मैं हर जगह जाती हूं. हर समुदाय के लोगों से मिलती हूं. सबका सहयोग मुझे मिला रहा है. मैं ब्राह्मण हूं और ब्राह्मण समाज के लोग मुझे वोट देते हैं तो अच्छा ही है. उन्होंने कहा साहित्य और राजनीति एक दूसरे से जुदा नहीं हैं. साहित्य में राजनीति है और राजनीति में साहित्य की झलक होती है. साहित्य हमेशा राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है. साहित्य से राजनीति के सफर पर उन्होंने कहा, मैं छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रही हूं. मैं जेएनयू से पढ़ी हूं. वहां छात्र संघ की इलेक्टेड काउंसलर थी. सीपीएम के पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी, देवी प्रसाद त्रिपाठी के साथ कमेटी काउंसिल में थी. कुछ समय तक जेएनयू की कार्यवाहक प्रेसिडेंट भी रही हूं. पीयूसीएल की चार बार जनरल सेक्रेटरी रही हूं. 


करूंगी क्वालिटी एजुकेशन लाने की कोशिश- वंदना मिश्रा
चुनाव जीतने की क्या रणनीति रहेगी, इस पर वंदना मिश्रा ने कहा कि मेरी रणनीति आप सबका प्यार और सपा का समर्थन होगी. वंदना मिश्रा ने कहा कि लखनऊ साहित्य का शहर रहा है, लेकिन यहां साहित्य की अनदेखी हो रही है. साहित्य के लिए मैं बेहतर करने की कोशिश करूंगी. यहां की विरासत, समृद्धि और पूंजी को संवारने का काम करूंगी. शिक्षा पर काम होगा. यहां म्युनिसिपल नर्सरी स्कूल हुआ करता था, जहां की पढ़ाई बहुत अच्छी होती थी. अंग्रेजी स्कूल को छोड़कर लोग अपने बच्चों का एडमिशन कराने के लिए सुबह 4 से लाइन में लगते थे. यह नगरपालिका के स्कूल होते थे. अब ऐसी रेपुटेशन मुझे नहीं दिख रही. शिक्षा व्यवस्था में ऐसी ही क्वालिटी एजुकेशन फिर से लाने की कोशिश करूंगी. चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने और बिजली-पानी जैसी रोजमर्रा की समस्याओं पर भी काम होगा.


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