UP Nagar Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर बीएसपी (BSP) ने अपनी रणनीति में इस बार बदलाव करते हुए फोकस मुस्लिम समाज पर किया है. दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक समाजवादी पार्टी की ओर खिसक गया था जिसके चलते बसपा केवल एक सीट पर सिमट कर रह गई थी. इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बसपा मुस्लिम कैंडिडेट के भरोसे एक बार फिर मुस्लिम वोट बैंक को अपने साथ अपने पाले में लाने में जुट गई है.


उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय के चुनाव दो चरणों में होंगे. पहले चरण के लिए 4 मई को जबकि दूसरे चरण के लिए 11 मई को वोट डाले जाएंगे. 13 मई को वोटों की गिनती होगी. पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है और पहले चरण में 10 नगर निगमों में वोट डाले जाएंगे. इस बार बसपा का फोकस मुस्लिम वोट बैंक पर है, इसलिए बसपा ने अपने पहले चरण के जो 10 मेयर पद के उम्मीदवार घोषित किए उसमें 60 फीसदी मुस्लिम समाज से आने वाले उम्मीदवारों को मेयर का टिकट दिया है. यानी बसपा साफ तौर पर यह मैसेज दे रही है कि मुस्लिम समाज की अगर किसी को सबसे ज्यादा फिक्र है तो वह बहुजन समाज पार्टी ही है. हालांकि इस बार ऐसा पहली बार हुआ है जब बीजेपी ने भी बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज और उसमें भी खासतौर से पसमांदा समाज से आने वाले लोगों को अलग-अलग पदों के लिए उम्मीदवार बनाया है.


लेकिन अगर बीएसपी की बात करें तो पहले जो 10 टिकट मेयर के घोषित हुए उसमें फिरोजाबाद में बीएसपी ने रुखसाना बेगम को, सहारनपुर में खादिजा मसूद को, लखनऊ में शाहीन बानो को, प्रयागराज में सईद अहमद को, मुरादाबाद में मोहम्मद यामीन को और मथुरा वृंदावन में राजा मोहतासिम अहमद को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है. इतना ही नहीं मेरठ में भी बसपा ने हसरत मलिक को उम्मीदवार बनाया है, अलीगढ़ में भी सलमान सईद को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है. गाजियाबाद में भी माना जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी मुस्लिम समाज के ही उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी तो बरेली में भी कहा जा रहा है कि बसपा किसी मुस्लिम कैंडिडेट को ही मैदान में उतारेगी. इस तरह अगर देखा जाए तो दूसरे चरण की सात मेयर की सीटों में से लगभग 4 सीटों पर बसपा की मुस्लिम उम्मीदवार को उतारने की तैयारी है.


सपा को नुकसान हो सकता है
इस तरह लगभग 17 नगर निगम में से बीएसपी ने अब तक 8 मेयर की सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार को उतार दिया है जबकि 2 और सीटों पर कहा जा रहा है कि बसपा मुस्लिम समाज के उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में है. बहुजन समाज पार्टी की रणनीति कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी के लिए इस चुनाव में मुश्किल का सबब बन सकती है क्योंकि समाजवादी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक के सहारे ही 111 सीटों तक पहुंची थी और इस बार 17 नगर निगम में समाजवादी पार्टी को अगर देखा जाए तो केवल 2 सीटों पर ही मुस्लिम उम्मीदवार सपा ने उतारे हैं. मेरठ से मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भी सपा ने इस बार मुस्लिम कैंडिडेट ना देकर गुर्जर समाज कैंडिडेट उतारा है. जाहिर सी बात है बसपा वोटरों के बीच इस संदेश को लेकर जाएगी और ऐसे में चुनाव में सपा को इसका नुकसान हो सकता है.


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2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बसपा मुस्लिम वोट बैंक के सहारे अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुट गई है अब उसे इसका कितना फायदा मिलता है यह तो 13 मई को ही पता चलेगा जब नतीजे सामने आएंगे.