UP Nagar Nikay Chunav 2023: गोरखपुर में निकाय चुनाव को लेकर बैठकों का दौर शुरू, जानें- क्या है सियासी समीकरण
Nagar Nikay Chunav: गोरखपुर (Gorakhpur) नगर निगम और 11 नगर पंचायतों में कुल 13 लाख 66 हजार 813 वोटर हैं. इनमें 7 लाख 43 हजार, 413 पुरुष और 6 लाख 23 हजार 418 महिला वोटर हैं.
Gorakhpur News: यूपी नगर निकाय चुनाव के सेमीफाइनल से 2024 के लोकसभा चुनाव के फाइनल पर जीत का विजय पताका लहराने के लिए बीजेपी सहित सभी दलों की जोर-आजमाइश का दौर शुरू हो गया है. महापौर की सीट पर जातीय समीकरण के साथ ही टिकट को लेकर सभी दल मंथन करने में लगे हैं. ऐसे में जातीय समीकरण महापौर के चुनाव में एक बार फिर हावी होता हुआ दिखाई दे रहा है. उम्मीदवार अपनी पहचान के साथ ही दावेदारी भी कर रहे हैं. हालांकि बीजेपी, सपा और आप का फोकस महापौर के पद के साथ 11 नगर पंचायत और 80 वार्डों पर भी है.
गोरखपुर (Gorakhpur) में निकाय चुनाव को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. बीजेपी, सपा और आप कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए जी-जान से जुटी है. सभी दल के पदाधिकारी बैठक में रणनीति तैयार के साथ महापौर और वार्ड में उम्मीदवारों को लेकर मंथन में जुटे हैं. बीजेपी के नव नियुक्त क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय गोरखपुर के प्रथम आगमन दो दिवसीय प्रवास के दौरान स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति तैयार की.
सहजानंद राय ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही प्रत्येक वार्ड में बीजेपी का विजय पताका लहराने के लिए कमर कसने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव के लिए बीजेपी को किसी भी तरह की तैयारी की जरूरत नहीं है. उनके सामने कोई चुनौती नहीं है. कैडर बेस पार्टी होने की वजह से उन्हें अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
महापौर के लिए क्या है बीजेपी का समीकरण?
समाजवादी पार्टी भी महापौर पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन करने में जुटी है. हालांकि अभी बीजेपी की ओर से महापौर का एक भी चेहरा सामने नहीं आया है. लेकिन बीजेपी कायस्थ समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए जोड़-तोड़ में जुटी है. हालांकि ओबीसी वोटरों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है. जातिगत राजनीति की बात करें, तो महापौर की सीट अनारक्षित हो जाने के बाद सपा का पूरा फोकस ब्राह्मण वोट पर टिका हुआ है.
सपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष ब्रजेश कुमार गौतम का कहना है कि गोरखपुर के महापौर और 11 नगर पंचायत के साथ ही सभी सीटों पर पार्टी और प्रत्याशी पूरी तरह से तैयार हैं. जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव लगाएंगे. सपा निकाय चुनाव में जीत के लिए जी-जान से लगे हुए हैं. महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा, महिला अत्याचार, आमजनमानस, किसान, नौजवान की पीड़ा को देखते हुए लोकतंत्र और संविधान के साथ आरक्षण को बचाने के लिए जनता के बीच जाएंगे. गोरखपुर महापुरुषों का गढ़ है. ये किसी का गढ़ है, तो उसे तोड़कर सपा का परचम लहराएंगे.
'आप दमदारी के साथ चुनाव लड़ेगी'
आम आदमी पार्टी के महानगर अध्यक्ष विजय कुमार श्रीवास्तव का दावा है कि आप दमदारी के साथ चुनाव लड़ेगी. उन्होंने बताया कि महापौर पद के लिए पांच आवेदन आए हैं. रमेश शर्मा, रीता पाण्डेय, विनीत मिश्रा के साथ दो अन्य नाम भी हैं. कायस्थ हिन्दूवाद और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट करते हैं. जिसका भाजपा फायदा उठाती है. कोई कायस्थ या किसी भी जाति का उम्मीदवार ऊपर उठकर दमदारी के साथ किसी भी वर्ग से आता है, तो उसको चुनाव लड़ाएंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा के मेयर और पार्षद होने के बावजूद बाढ़ की बजाय बारिश के पानी में डूब जाता है. जगह-जगह कूड़ा दिखाई देता है. उनकी पार्टी हाउस टैक्स हाफ और वाटर टैक्स माफ के वायदे के साथ वे लोग चुनाव लड़ेंगे.
गोरखपुर नगर निगम में महापौर सीट का आरक्षण पहली बार सामान्य हो गया है. आरक्षण को लेकर तस्वीर साफ होने के बाद राजनीतिक दलों की हलचल तेज हो गई है. सभी प्रमुख दलों के दावेदार सक्रिय हो गए हैं. दिसंबर महीने में भी महापौर को लेकर आरक्षण जारी हुआ तो गोरखपुर की सीट सामान्य ही घोषित हुई. एक बार फिर आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सक्रियता बढ़ गई है.
साल 1994 में नगर निगम के गठन के बाद से मेयर की सीट तीन बार अन्य पिछड़ा वर्ग, एक बार अन्य पिछड़ा वर्ग महिला और एक बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित रही है. एक बार को छोड़कर हर बार मेयर पद पर भाजपा का कब्जा रहा है. एक बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी मेयर बनी. हालांकि, तब भी यह सीट आरक्षित रही है. उन्होंने मेयर का पद जीतकर प्रदेश में किसी नगर निगम में ट्रांसजेंडर के मेयर बनने का रिकार्ड बनाया. 12 फरवरी 1989 से 22 फरवरी 1994 तक पवन बथवाल नगर प्रमुख रहे हैं.
पवन बथवाल के कार्यकाल में नगर महापालिका से नगर निगम वजूद में आया. पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर बीजेपी के राजेंद्र शर्मा नगर निगम के पहले महापौर बने. साल 2000 में पहली बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी चुनाव जीतकर महापौर बनीं. तब यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित रहा है. साल 2006 के चुनाव में महापौर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद बीजेपी से अंजू चौधरी महापौर चुनी गईं. वर्ष 2012 के चुनाव में महापौर की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई. इस बार भाजपा से सत्या पांडेय महापौर निर्वाचित हुईं. साल 2017 में महापौर की सीट फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा के टिकट पर सीताराम जायसवाल महापौर बने. भाजपा तीन बार से महापौर के पद पर जीत की हैट्रिक लगा रही है. ऐसे में देखना होगा कि आने वाले निकाय चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है.
गोरखपुर में कुल इतने हैं वोटर
गोरखपुर नगर निगम और 11 नगर पंचायतों में कुल 13 लाख 66 हजार 813 वोटर हैं. इनमें 7 लाख 43 हजार, 413 पुरुष और 6 लाख 23 हजार 418 महिला वोटर हैं. नगर निगम में कुल 10 लाख 48 हजार 462 वोटर हैं. इसमें 5,75826 पुरुष और 4,72,636 महिला वोटर हैं. इसके अलावा 11 नगर पंचायत हैं. इनमें सहजनवां में कुल 34,615 वोटर हैं. इसमें 19049 पुरुष और 15566 महिला वोटर, बांसगांव में कुल 17015 वोटर हैं. इनमें 8868 पुरुष और 8147 महिला वोटर, मुंडेराबाजार में कुल 26,813 वोटर हैं. इनमें 14,010 पुरुष और 12,803 महिला, पीपीगंज में कुल 45,002 वोटर हैं.
इनमें 23,477 पुरुष और 21,525 महिला वोटर, पिपराइच में कुल 32,238 वोटर हैं. इनमें 16,579 पुरुष और 15,659 महिला वोटर हैं. गोला बाजार में कुल 42,578 वोटर हैं. इनमें 22,767 पुरुष और 19,811 महिला वोटर हैं. बड़हलगंज में कुल 35,943 वोटर हैं. इनमें 18,889 पुरुष और 17,054 महिला वोटर हैं.
संग्रामपुर में कुल 19,830 वोटर हैं. इनमें 10,341 पुरुष और 9,489 महिला वोटर, चौमुखा में कुल 20,233 वोटर हैं. इनमें 10,525 पुरुष और 9,708 महिला वोटर, उरुवा में कुल 22,491 वोटर हैं. इनमें 11,613 पुरुष और 10,878 महिला वोटर और घघसरा बाजार में कुल 21,611 वोटर हैं. इनमें 11,469 पुरुष और 10,142 महिला वोटर हैं.
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