UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के नाम को लेकर सपा में फंसा पेंच, शिवपाल यादव ने बढ़ाई टेंशन
UP Nikay Chunav 2023 SP Candidate: प्रसपा का गठन होने के बाद जो लोग समाजवादी पार्टी छोड़कर शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के साथ आए थे अब शिवपाल से टिकट की सिफारिश लगा रहे हैं.
UP Nagar Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में वार्ड के प्रत्याशियों का नाम तय करने में समाजवादी पार्टी के पसीने छूट रहे हैं. इसकी वजह है कि कई वार्ड को लेकर सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव और सपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव (Ramgopal Yadav) ने भी अपनी अपनी सूची सौंपी है. सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने राजधानी लखनऊ (Lucknow) के करीब 35 फीसदी वार्ड के लिए अपनी पसंद के प्रत्याशियों की सूची पार्टी को सौंपी है. वहीं प्रो. रामगोपाल ने भी करीब 20 फीसदी वार्ड के लिए अपनी पसंद के प्रत्याशियों की सूची दी है. इसके अलावा सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके तमाम नेताओं ने भी अपने अपने चहेतों की पैरवी की है. इसके चलते पार्टी पदाधिकारियों और सूची तय करने के लिए बनाए गए प्रभारियों के बीच ही सहमति नहीं बन पा रही.
हालात यह है कि आज सुबह तक लखनऊ के महानगर अध्यक्ष को ही दावेदारों के नाम की सूची प्रभारियों से नहीं मिल पाई. 17 अप्रैल को नामांकन का अंतिम दिन है. इससे पहले उम्मीदवारों को नॉमिनेशन से जुड़े अपने कागजात भी तैयार कराने होंगे. इन हालात को देखते हुए आज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यालय पर प्रभारियों की बैठक भी बुलाई, जिससे इस समस्या का समाधान कर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया जा सके.
चाचा-भतीजा हुए थे एक
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चाचा भतीजे यानी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक जरूर हो गए, लेकिन उस चुनाव में टिकट को लेकर शिवपाल यादव की चल नहीं पाई और उन्हें बस एक टिकट पर ही संतोष करना पड़ा. इसके बाद दोनों के रिश्ते में खटास आई और फिर वह अलग हो गए. नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव के नतीजों ने चाचा भतीजा को फिर मिला दिया. शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय कर सपा का झंडा थाम लिया. इसके बाद से तमाम बड़े फैसलों में अखिलेश यादव शिवपाल यादव से सलाह भी लेते हैं. शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया गया. इन सबके बाद यह पहला मुख्य चुनाव सामने आया है.
पार्टी को सौंपी सूची
असल में प्रसपा का गठन होने के बाद जो लोग समाजवादी पार्टी छोड़कर शिवपाल यादव के साथ आए थे अब शिवपाल यादव से टिकट की सिफारिश लगा रहे हैं. शिवपाल यादव भी इस बात को मानते हैं कि जिन्होंने उनका साथ दिया उन्हें अवसर मिलना चाहिए, इसीलिए शिवपाल यादव ने लखनऊ के करीब 35 फीसदी वार्ड के लिए प्रत्याशियों के नाम की सूची पार्टी को सौंपी है. अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने चुनौती है कि वह ऐसे वार्ड से उन लोगों को टिकट दें जो सपा छोड़कर प्रसपा में नहीं गए, अखिलेश के लिए वफादार रहे या फिर उन्हें जिनके नाम की सूची शिवपाल यादव ने सौंपी है. सूत्रों की माने तो कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जिसके लिए प्रो. रामगोपाल और शिवपाल यादव दोनो की तरफ से नाम आये हैं.
हुआ था कमेटी का गठन
समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशियों का चयन करने के लिए कमेटी का गठन किया था. इसमें तीन प्रभारी बाहर से बनाए गए थे, जिसमें सपा विधायक अमिताभ बाजपेई, सुरेश यादव और महफूज किदवई के अलावा लखनऊ से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा, अरमान खान और 7 विधानसभाओं के 2022 में हारे हुए सपा के उम्मीदवार शामिल हैं. इसके अलावा सपा जिलाध्यक्ष और सपा के महानगर अध्यक्ष भी कमेटी में शामिल हैं. कई जगह वार्ड के प्रभारी और पार्टी के पदाधिकारियों के बीच भी सहमति नहीं बन पा रही. पार्टी के पदाधिकारी अपनी पसंद का प्रत्याशी चाहते हैं, जबकि प्रभारी अपनी तरफ से नाम बता रहे हैं. लखनऊ के 110 में से 84 वार्ड समाजवादी पार्टी के महानगर संगठन के जिम्मे जबकि 4 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 26 वार्ड जिला संगठन के पास हैं.