UP Nagar Nikay Chunav: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूपी में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव (NIkay Chunav) कराने का रास्ता साफ कर दिया और राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी कोटे (OBC Reservation) के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी. जिसका यूपी की सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने स्वागत किया है.
सोमवार को कोर्ट ने नगर निकाय सामान्य निर्वाचन को लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने के आदेश दिया है.
मुख्यमंत्री योगी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए ट्वीट कर कहा, ''माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने का आदेश स्वागत योग्य है.''
उन्होंने कहा, ''विधि सम्मत तरीके से आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार समयबद्ध ढंग से नगरीय निकाय चुनाव कराने हेतु प्रतिबद्ध है.'' आईए आपको बताते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है.
जानें अब तक क्या-क्या हुआ?
- पिछले साल के आखिर में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर बिना ओबीसी आरक्षण दिए ही स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद सियासी बवाल मच गया था.
- अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक, महापौर पद की चार सीट-अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन, मेरठ और प्रयागराज- ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं. इनमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन में महापौर के पद ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षित थे.
- इसके अलावा, 200 नगर पालिका परिषदों में अध्यक्षों के लिए 54 सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 18 महिलाओं के लिए थीं। 545 नगर पंचायतों में अध्यक्षों की सीट में से 147 ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 49 महिलाओं के लिए थीं.
- हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद यूपी सरकार ने कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होंगे और राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए एक आयोग गठित करेगी. जिसके बाद यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया.
- इस पांच सदस्यीय आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने की. इस आयोग के अन्य चार सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शदाता संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं.
- राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के 27 दिसंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. अपील में कहा गया था कि उच्च न्यायालय पिछले साल पांच दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकता, जिसके तहत शहरी निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के अलावा ओबीसी के लिए सीट आरक्षण प्रदान किया गया था.
- सुप्रीम कोर्ट ने 4 जनवरी को, ओबीसी के लिए बिना किसी आरक्षण के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी.
- 9 मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी.
- सोमवार को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत ने चार जनवरी, 2023 के एक आदेश में उल्लेख किया कि इस अदालत के फैसलों के मद्देनजर, योगी सरकार ने यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना के लिए दिसंबर 2022 में एक अधिसूचना जारी की. हालांकि, आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, लेकिन इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था.’’
- पीठ ने कहा, 'सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि रिपोर्ट 9 मार्च, 2023 को मंत्रिमंडल को सौंप दी गई है. स्थानीय निकाय चुनावों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है और यह दो दिन में की जाएगी. याचिका का निस्तारण किया जाता है. इस आदेश से संबंधित निर्देश मिसाल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए नहीं है.'
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