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Ayodhya News: अयोध्या में 1 नवंबर से शुरू होगी 14 कोसी परिक्रमा, बड़ी संख्या में पहुंचे राम भक्त, जानिए- क्या है इसका महत्व
Ayodhya 14 Kosi Parikrama: कार्तिक माह में श्रद्धालु अयोध्या में रह कर स्नान, ध्यान और सरयू स्नान कर कल्पवास करते हैं. पूर्णिमा के दिन देव दीपावली पर सरयू स्नान और दान देकर कल्पवास पूरा होता है.
Ayodhya News: अयोध्या (Ayodhya) में आस्था के पथ पर एक नवंबर को लाखों कदम आगे बढ़ेंगे. इस दिन अक्षय नवमी (Akshay Navmi) के पुण्य तिथि पर अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा (14 Kos Parikrama) का प्रारंभ होगी. रात्रि के 12:48 शुभ मुहूर्त पर 14 कोस की परिक्रमा उठाई जाएगी, जो पूरे दिन चलेगी और दूसरे दिन समाप्त होगी. इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रशासन के द्वारा इंतजाम भी किए गए हैं. पिछले दो वर्षों में कोरोना (Covid 19) के चलते सैकड़ों वर्ष पुरानी परिक्रमा बाधित रही थी.
इस वर्ष अब अयोध्या में परिक्रमा मेले पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रशासन ने व्यापक स्तर पर इंतजाम किए हैं. कार्तिक माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में कल्पवास करते हैं और अक्षय नवमी के पुण्य तिथि पर अयोध्या में सीमा की परिक्रमा करते हैं. मान्यता है कि अक्षय नवमी पर किया गया पुण्य और पूजा कई गुना ज्यादा लाभ देता है. एकादशी को अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा शुरू होगी. इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होगी क्योंकि मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. 2023 के दिसंबर में मंदिर बन करके तैयार हो जाएगा. इसको देखने के लिए हर राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं और मंदिर निर्माण कार्य को देखेंगे और 14 कोस की परिक्रमा करेंगे.
अयोध्या में कल्पवास करने की पुरानी परंपरा चल रही है संपूर्ण कार्तिक माह में श्रद्धालु अयोध्या में रह कर स्नान, ध्यान और सरयू स्नान कर कल्पवास करते हैं. पूरे कार्तिक माह में यह क्रम चलता है और पूर्णिमा के दिन जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है उस दिन सरयू स्नान कर दान कर कल्पवास को पूरा किया जाता है.
जानिए 14 कोसी परिक्रमा का महत्व
पारंपरिक मेले और परिक्रमा का अपना अलग महत्व है. मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन अयोध्या में भगवान राम की नगरी की परिक्रमा करने से प्राप्त हुआ पुण्य अक्षुण रहता है. जिसका कभी नाश नहीं होता इस वजह से अक्षय नवमी के समय अयोध्या के आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं और 14 कोस लगभग 42 किलोमीटर लंबी परिक्रमा में भाग लेते हैं. भगवान राम के संकीर्तन के साथ राम नगरी के परिक्रमा करते हैं.
पारंपरिक मेले और परिक्रमा का अपना अलग महत्व है. मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन अयोध्या में भगवान राम की नगरी की परिक्रमा करने से प्राप्त हुआ पुण्य अक्षुण रहता है. जिसका कभी नाश नहीं होता इस वजह से अक्षय नवमी के समय अयोध्या के आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं और 14 कोस लगभग 42 किलोमीटर लंबी परिक्रमा में भाग लेते हैं. भगवान राम के संकीर्तन के साथ राम नगरी के परिक्रमा करते हैं.
रामजन्म भूमि मंदिर के पुजारी महंत सत्येंद्र दास ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 14 कोसी परिक्रमा 1 नवंबर तारीख से 12:48 पर रात में शुरू होगी और पूरे दिन चलेगी. इसको अक्षय नवमी कहते हैं. अक्षय नवमी के दिन के परिक्रमा जो होती है इसका स्पष्ट रूप से अच्छा है कि कभी छय ना होने वाला यह कार्य परिक्रमा किया जाता है और कभी छय नहीं होता. जन्म जन्मांतर में जो भी प्रायश्चित किया है एक कदम परिक्रमा चलने से वह सब के सब नष्ट हो जाते हैं. 14 कोस का अर्थ होता है जो हमारे 14 लोक है तल, अतल, वितल, स्वर्ग लोक, जन लोक, परलोक 14 लोक जाने जाते हैं. ये परिक्रमा करने वालों के जीवन और मरण की कोई समस्या नहीं होती. वह परमधाम को प्राप्त करता है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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