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UP News: ग्रेटर नोएडा के दो पुराने गांवों को बनेंगे हाईटेक, जानें- कब तक पूरा होगा काम
Greater Noida News: सूरजपुर में बने घंटाघर चौक और उसके आसपास के एरिया को एंटरटेनमेंट जोन के रूप में विकसित किया जाएगा. कासना के निहालदे मंदिर के आसपास के एरिया को भी संवारा जाएगा.
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में इन दिनों डेवलपमेंट का काम तेजी से चल रहा है. डेवलपमेंट के साथ ही अब 2 ऐसे गांवों का री-डेवलपमेंट किया जा रहा है, जो ग्रेटर नोएडा के सबसे पुराने गांव है. ग्रेटर नोएडा की शुरुआत ही सूरजपुर (Surajpur) और कासना (Kasna) गांव से हुई थी. अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) ने इनके री-डेवलपमेंट पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. सूरजपुर और कासना के री-डेवलपमेंट प्लान में दोनों गांवों की सड़कों और गलियों का पुनर्निर्माण किया जाएगा. इसके साथ ही बाजार का सौंदर्यीकरण किया जाएगा.
सूरजपुर में बने घंटाघर चौक जिसे सूरजपुर तिराहा भी कहा जाता है और उसके आसपास के एरिया को एंटरटेनमेंट जोन के रूप में विकसित किया जाएगा. कासना के निहालदे मंदिर के आसपास के एरिया को संवारा जाएगा. एसटीपी और मंदिर के बीच बने नाले को रिवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. इतना ही नहीं बल्कि सूरजपुर के सरकारी महकमों को भी सजाया-संवारा जाएगा, उनके आस-पास हरियाली, पार्किंग, फुटपाथ आदि विकसित किए जाएंगे.
लगभग 100 करोड़ रुपये होगा खर्च
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सूरजपुर और कासना कस्बे का री-डेवलपमेंट का काम कर रहा है और इसमें लगभग 50-50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है. कुछ दिन पहले ही प्राधिकरण ने गांवों के री-डेवलपमेंट प्लान को मंजूरी दी थी. प्रारंभिक धनराशि के रूप में बजट में 10-10 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया है. दोनों गांवों के री-डेवलपमेंट प्लान में तेजी लाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने बताया कि इन दोनों गांवों का जल्द ही री-डेवलपमेंट किया जाएगा. इसके लिए उन्होंने कासना में एसटीपी के किनारे रिवर फ्रंट के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए हैं और प्रोजेक्ट विभाग को डीपीआर तैयार कराने को कहा है.
क्यों खास हैं सूरजपुर और कासना
उन्होंने बताया कि दोनों गांवों के लिए 100 दिन के भीतर कंसल्टेंट का चयन करने, तीन महीने में डीपीआर बनवाकर और टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एक साल के भीतर मौके पर काम शुरू किया जाएगा. 2025 तक इन दोनों को गांवों को विकसित कर लिया जाएगा. आपको बता दें कि सूरजपुर और कासना का एतिहासिक महत्व भी है. बताया जाता है कि कासना को मध्यकाल में राजा राव कासल ने बसाया था और वहां प्राचीन किले का अवशेष अब भी है. सती निहालदे का मंदिर भी कासना में है. कासना में नौलखा बाग भी बहुत प्रसिद्ध हुआ था, जिसमें नौ लाख पेड़ थे. इसके कुछ हिस्से में मंदिर और उसके आस-पास हरियाली अब भी है. इसी तरह सूरजपुर को मध्यकाल में राजा सूरजमल ने बसाया था.
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