AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर हमला करने के आरोपियों को मिली जमानत, कोर्ट ने बताई ये वजह
हापुड़ के थाना पिलखुवा में 3 फरवरी साल 2022 को असदुद्दी ओवैसी पर हमला करने के मामले में दो नामजद अभियुक्तों के खिलाफ फायरिंग करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
UP News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर 2 साल पहले मेरठ दिल्ली हाई वे टोल प्लाजा के समीप फायरिंग कर जानलेवा हमले के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी सचिन शर्मा व शुभम गुज्जर की सशर्त जमानत की मंजूर कर ली है. कोर्ट ने व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति लेकर रिहा करने का आदेश दिया है.
यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया की सिंगल बेंच ने दिया. हापुड़ के थाना पिलखुवा में 3 फरवरी साल 2022 को दो नामजद अभियुक्तों के खिलाफ फायरिंग करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. विवेचना के दौरान सी सी टी वी फुटेज के आधार पर याची को गिरफ्तार किया गया था.
दोनों आरोपी 4 फरवरी 22 से जेल में बंद हैं. इससे पहले सह अभियुक्त आलिम की जमानत मंजूर हो चुकी थी. याची की भी पैरिटी के आधार पर 12 जुलाई 22 को जमानत मंजूर कर ली गई थी जिसको सुप्रीम कोर्ट में एस एल पी दाखिल कर पीड़ित सांसद ने चुनौती दी थी. सांसद ने कहा था कि याचीगण ने जमानत का दुरूपयोग किया है, उन्होंने मीडिया में बयान दिया है जिससे पीड़ित सांसद को धमकी दी गई है.
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सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त की थी जमानत
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत निरस्त कर दी थी और हाईकोर्ट को फिर से विचार कर जमानत पर नये सिरे से फैसला लेने का आदेश दिया.
दूसरी ओर याची का कहना था कि वह नामित अभियुक्त नहीं है. फुटेज की समीक्षा में उसको संदिग्ध मान गिरफ्तार किया गया है जबकि घटना का कोई भी स्वतंत्र गवाह नहीं है. याची ने कहा कि सांसद के साथ दो लोग कार में सवार थे उन्होंने भी शिनाख्त नहीं की, केवल अपराध स्वीकार करने के आधार पर फंसाया गया है. फायरिंग में किसी को भी चोट नहीं लगी है.
उन्होंन कहा कि कुल 60 गवाहों में से अभी तक केवल तीन गवाहों का ही परीक्षण किया जा सका है.उनके खिलाफ घटना में लिप्त होने के सबूत कमजोर है,जिसका कोई लिंक नहीं है. फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा टी वी इंटरव्यू से वास्तविक धमकी का आभास नहीं होता है इसलिए याची जमानत पाने का हकदार है और सशर्त जमानत मंजूर कर ली है.