Akbarpur Bus Depot: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (Uttar Pradesh Transport Corporation ) जहां एक तरफ आज स्वर्ण जयंती समारोह मना रहा है वहीं दूसरी तरफ अकबरपुर रोडवेज (Akbarpur Depot) में लगभग दो दर्जन बसें ऐसी चल रही है, जिसमें रोजाना हजारों यात्रियों की जान को जोखिम में डालकर यात्रा करवाई जा रही है. हकीकत तो ये है कि विभागीय मानकों के मुताबिक तो इन बसों को चलने की बजाय नीलाम करवा देना चाहिए. इतना ही नहीं इस डिपो में बस चालकों और परिचालकों की भारी कमी है, जिससे 5 से 10 बसें प्रतिदिन संचालित ही नहीं हो पाती हैं. इसकी वजह से जहां एक तरफ यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है वहीं दूसरी तरफ रोडवेज को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है.
डिपो में खस्ताहाल पड़ी हैं बसें
यूपी परिवहन निगम आज अपना स्वर्ण जयंती समारोह मना रहा है, लेकिन आज भी यहां पर सरकारी बसों की हालत में कोई खास सुधार नहीं हैं. हालत ये ही कि अकेले अकबरपुर डिपो के बेड़े में ही करीब 22 बसें बेहद खस्ता हालत में सड़कों पर चलाई जा रही है. इन बसों की हालत इतनी खराब है कि ये कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकती हैं, लेकिन फिर भी इन्हें चलाकर रोजाना हजारों यात्रियो की जान को जोखिम में डाला डा रहा है. विभागीय नियमों के मुताबिक तो इन बसों को नीलाम कर देना चाहिए था.
इन बसों की हालत को देखते हुए अकबरपुर रोडवेज के एआरएम ने इसके लिए रीजनल ऑफिस अयोध्या को प्रस्ताव भी भेज दिया है लेकिन अभी तक वहां से इसकी स्वीकृति नहीं मिली है. यही वजह है कि ये बसें अब भी सड़क पर दौड़ रही हैं. विभागीय मानक के अनुसार जो बसें 10 वर्ष पूरा कर चुकी हों और 11 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं उन्हें नीलाम कर दिया जाता है. इस डिपो में ऐसी 22 बसें है जो ये मानक पूरा कर रही है.
डिपो में चालक और परिचालकों की भारी कमी
यात्रियों को अच्छी और सुलभ यात्रा का दावा करने वाले अकबरपुर डिपो में चालकों और परिचालकों की भारी कमी है. जिससे डिपो की रोजाना लगभग 10 बसें संचालित ही नहीं हो पाती है और डिपो में ही खड़ी रह जाती हैं. इसकी वजह से यात्रियों को तो परेशानी उठानी ही पड़ रही है डिपो को भी आर्थिक नुकसान उठाना होता है. डिपो के एआरएम के अनुसार एक बस की आय लगभग साढ़े चौदह हजार के हिसाब से लगभग एक से डेढ़ लाख रुपए का नुकसान रोजाना उठाना पड़ रहा है.
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