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UP Monsoon Session: अखिलेश यादव बोले- 'महिलाओं के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं, सरकार, विपक्ष और समाज को मिलकर करना होगा काम'

Lucknow News: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि महिलाओं से जुड़ी समस्‍याएं इतनी ज्‍यादा हैं कि विधानसभा सत्र का एक दिन पर्याप्‍त नहीं है. इसके लिए सबको साथ मिलकर काम करना होगा.

Lucknow News: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने गुरुवार को कहा कि महिलाओं से जुड़ी समस्‍याएं इतनी ज्‍यादा हैं कि विधानसभा सत्र का एक दिन पर्याप्‍त नहीं है. उन्होंने महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए सरकार, विपक्ष और समाज के साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया. अखिलेश ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का गुरुवार का दिन महिला सदस्‍यों को समर्पित किए जाने पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ द्वारा प्रस्‍तुत प्रस्‍तावना के बाद अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए विधानसभा अध्‍यक्ष सतीश महाना को इस खास कदम के लिए धन्‍यवाद दिया.

'महिलाओं के मुद्दे इतने ज्‍यादा कि एक दिन काफी नहीं'
अखिलेश यादव ने कहा, “आज मैं कह सकता हूं कि महिलाओं के मुद्दे इतने ज्‍यादा हैं कि हमारा एक दिन काफी नहीं है. अगर हम पूरे सत्र में बहस करें तो भी शायद वे खत्म नहीं होंगे.” सपा प्रमुख ने महिलाओं के खिलाफ अपराध का जिक्र करते हुए कहा, “मैं आज दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह बात कहना चाहता हूं कि जब हम अखबार पढ़ते हैं, तस्वीरें देखते हैं तो पता लगता है कि क्या-क्या घटनाएं हो रही हैं. संसद में कठोर से कठोर कानून पारित हुए हैं, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध कम नहीं हो रहे हैं.”

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सपा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़े देखें तो उत्तर प्रदेश जहां की आबादी ज्यादा है, वहां सदन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, क्योंकि महिलाओं के साथ जो कुछ हो रहा है, वह सब इस समाज में नहीं होना चाहिए. पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, “अगर हाथरस या फिर लखीमपुर खीरी की हाल की घटना देखें. मैं आज सरकार का विरोध करने के लिए नहीं खड़ा हुआ हूं. कई ऐसी घटनाएं हैं, जो हमारी सरकार में भी हुई थीं, लेकिन जब सरकार, समाज और विपक्ष मिलकर काम करते हैं तो इन समस्याओं को रोका भी जा सकता है.”

'महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत बनाया जाए'
अखिलेश यादव ने महिलाओं को समर्पित सत्र की चर्चा को सार्थक बनाने की अहमियत बताते हुए कहा, “मुझे याद है, इसी सदन ने दिन-रात जगकर सतत विकास लक्ष्‍यों पर भी चर्चा की है. यह केवल चर्चा न रह जाए, इसलिए जहां विपक्ष की जिम्मेदारी है, वहीं विपक्ष से ज्यादा सरकार की जिम्मेदारी है कि चर्चा में जो बातें आ रही हैं, उनके आधार पर हम ठोस कदम उठाए जाएं.” अखिलेश ने कहा कि देश की आजादी में रानी लक्ष्‍मीबाई, बेगम हजरत महल, अवंतीबाई लोधी, चांद बीबी, कस्‍तूरबा गांधी और सरोजिनी नायडू समेत कई महिलाओं का योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने ही सुचेता कृपलानी के रूप में देश को पहली महिला मुख्‍यमंत्री भी दी थी. अखिलेश ने कहा कि इस वक्‍त उत्तर प्रदेश विधानसभा में 47 महिला सदस्‍य हैं और उम्‍मीद है कि आने वाले समय में सभी दल प्रयास करेंगे कि ज्‍यादा से ज्‍यादा महिलाएं इस सदन में पहुंचें. उन्‍होंने समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया का जिक्र करते हुए कहा कि महिला समानता की बात करने वाले लोहिया ने कहा था कि नारी को गठरी के समान नहीं, बल्कि इतनी शक्तिशाली होना चाहिए कि समय आने पर वह बोझ को गठरी बनाकर अपने साथ लेकर चल सके.

अखिलेश ने कहा, “अक्सर हम सावित्री को आदर्श मान लेते हैं, क्योंकि वह पति के प्रति पूरी तरह से समर्पित थी. लेकिन लोहिया ने कहा था कि इस देश की औरतों के लिए अगर आदर्श कोई हो सकता है तो वह द्रौपदी है. अगर हम महिला शक्ति को इतनी ऊंचाई पर ले जाएं तो दुनिया में हमारी एक नयी पहचान बनेगी.” सपा अध्‍यक्ष ने राज्‍य के पिछले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार किए गए पार्टी के घोषणापत्र के विभिन्‍न वादों को सरकार के सामने सुझाव के तौर पर पेश किया. उन्‍होंने कहा कि सरकार महिलाओं सहित प्रत्येक नागरिक के प्रति घृणा अपराधों के खिलाफ ‘कतई बरदाश्त न करने’ की नीति अपनाए, पुलिस समेत सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दे और लड़कियों की केजी (किंडरगार्टन) से पीजी (परास्नातक) तक की शिक्षा मुफ्त करे.

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि महिला पावर लाइन (1090 सेवा) को मजबूत बनाया जाए और ईमेल व व्हाट्सएप के जरिये भी शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान किया जाए. उन्होंने मांग की कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में एक प्रकोष्ठ गठित किया जाए और जेंडर सेंसटिविटी (लैंगिक संवेदनशीलता) का पता लगाने के लिए एक सूचकांक बनाया जाए.

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