प्रयागराज: अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में एफआईआर दर्ज कराने वाले अमर गिरि केस वापस लेने के अपने फैसले पर अब भी कायम हैं. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी भी यह विवाद नहीं सुलझा सके हैं. उन्होंने हरिद्वार से आकर अमर गिरी को समझाने की कोशिश की.उन्होंने अमर गिरी व नरेंद्र गिरी के उत्तराधिकारी बलवीर गिरी से लंबी बातचीत की. लेकिन रवींद्र पुरी की हर कोशिश हुई नाकाम. स्वामी अमर गिरी एफआईआर वापस लेने की जिद पर अड़े.
फिर हो सकती है समझाने की कोशिश
अमर गिरि हाईकोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे को भी वापस नहीं लेंगे.गुरुवार को एक बार फिर हो सकती है अमर गिरि को समझाने की कोशिश. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी आज एक और प्रयास कर सकते हैं. इसके बाद भी अगर अमर गिरि हलफनामा वापस लेने को तैयार नहीं हुए तो निरंजनी अखाड़ा ले सकता है कोई बड़ा फैसला. बहुत संभव हैं कि अमर गिरि को अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाए.
महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद उनके शिष्य अमर गिरि और पवन महाराज ने ही दर्ज कराई थी एफआईआर. दोनों अब अपनी तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर को वापस लेना चाहते हैं.दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर एफआईआर वापस लेने और इस एफआईआर के आधार पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही है.
क्या कहना है अमर गिरि और पवन महाराज का
दोनों का यह भी आरोप है कि उन्होंने एफआईआर दर्ज करने के लिए थाने पर कोई लिखित तहरीर दी ही नहीं थी. सिर्फ मौखिक सूचना के आधार पर पुलिस ने उनके नाम से मनमाने तरीके से दर्ज कर ली थी एफआईआर. एफआईआर वापस लिए जाने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल किए जाने पर संत समाज में हड़कंप मच गया था. अमर गिरि को समझाने के लिए ही हरिद्वार से बुधवार को प्रयागराज आए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी.
एबीपी गंगा ने ही सबसे पहले अमर गिरी और पवन महाराज की ओर से एफआईआर वापस लिए जाने का हलफनामा हाईकोर्ट में दाखिल किए जाने की खबर प्रसारित की थी. अमर गिरि और पवन महाराज द्वारा लिखित तहरीर के बजाय सिर्फ मौखिक सूचना दिए जाने की खबर भी एबीपी गंगा ने ही सबसे पहले सामने लाई थी.
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