(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Banda News: बांदा में जर्जर हाल में कई सरकारी स्कूल, छत से गिरती है रेत, जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर बच्चे
Banda News: सेमरी प्राइमरी स्कूल की इमारत आजादी से पहले 1945 की बनी है जो अब जर्जर हो चुकी है. स्कूल की छत से कभी गिट्टी, मसाला नीचे बच्चों पर गिर जाता है जिससे कई बार बच्चे भी घायल हो चुके हैं.
Banda School: बांदा में कई सरकारी विद्यालयों की इमारत जर्जर होने की वजह से स्कूल (Banda Sc) के विद्यार्थियों को टीन शेड के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है तो वहीं कुछ विद्यालयों में एक ही कमरे में दो -तीन कक्षा के बच्चों को बैठकर पढ़ना पड़ता है. अध्यापकों का कहना है कि ये विद्यालयों की इमारतें आजादी से पहले की हैं जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं. कई बार उच्च अधिकारियों को इस बारे में सूचित करने के बाद भी अभी तक नई इमारतों का निर्माण नहीं हो सका है जिसकी वजह बच्चे ऐसे हालत में पढ़ने को मजबूर हैं.
जर्जर इमारतों में पढ़ने को मजबूर बच्चे
यूपी सरकार, सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर गंभीर है और इसके लिए अध्यापकों को तमाम तरह के नए प्रशिक्षण देकर शिक्षा व्यवस्था सुधारने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन बांदा जनपद में अभी भी कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनकी इमारतें पूरी तरह जर्जर हो चुकी है और इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों पर हमेशा किसी अनहोनी का साया मंडराता रहता है. बांदा के बड़ोखर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले मवई बुजुर्ग गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की इमारत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. इमारत के लगभग सभी कमरों की हालत बहुत खस्ताहाल है जिसके चलते विद्यालय प्रशासन द्वारा अस्थाई तौर पर विद्यालय कैंपस में टीन शेड बनाकर उसके नीचे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.
इस स्कूल में ये व्यवस्था काफी समय से चल रही है, विद्यालय की प्रधानाध्यापिका गायत्री श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने इसके लिए कई बार बीएसए और संबंधित अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया है लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ. वहीं विद्यालय की जर्जर स्थिति को देखते हुए स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और अभिभावक भी किसी अनहोनी घटना की संभावना को लेकर हमेशा भयभीत रहते हैं.
कई बार बच्चे हो चुके हैं घायल
मवई की तरह कमोवेश स्थिति प्राथमिक विद्यालय सेमरी की भी है, इस विद्यालय की इमारत आजादी से पहले 1945 की बनी हुई है जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. विद्यालय में बने कमरों की हालत यह है कि उनकी मरम्मत होने के बाद भी बारिश में पानी टपकता रहता है और छत से कभी गिट्टी तो कभी मसाला नीचे बच्चों पर गिरता रहता है जिससे कई बार बच्चे घायल भी हो चुके हैं. ऐसे में अब जिन कमरों की स्थिति कुछ अच्छी है वहां पर दो-तीन कक्षाएं साथ में लगाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. यहां के हेड मास्टर राजेंद्र गोस्वामी का कहना है कि नई इमारत के लिए कई बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन इमारत के लिए जगह न होने की वजह से अभी निर्माण नहीं हो पाया है.
बेसिक अधिकारी ने दी ये सफाई
इस पूरे मामले में बांदा की बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रिंसी मौर्या का कहना है कि मामला मेरे भी संज्ञान में आया है. हमने जर्जर विद्यालयों को चिन्हित कर रखा है और इसको सर्टिफिकेशन कमेटी के पास भेजा है जहां से सर्टिफाइड होते ही उसे शासन में भेजेंगे और निदेशालय से पास होने के बाद जैसे ही पैसा आएगा नए भवनों का निर्माण करा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि खंड शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि जहां भी विद्यालय की इमारतें जर्जर है वहां विद्यालय संचालित ना किया जाए बल्कि वहां वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.
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