Basti News: यूपी सरकार भले ही अपने स्वास्थ्य व्यवस्था (Health Service) को चमकाने के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही हो लेकिन इसका असर अस्पतालों में देखने को नहीं मिल रहा है. आलम ये है कि सरकार जिन जीवन रक्षक दवाओं (Life Saving Medicine) को लाखों रुपये खर्च करके खरीदती है, ताकि गरीब लोगों के स्वास्थ्य को सुधारा जा सके, उनकी जान को बचाया जा सके, वहीं जीवन रक्षक दवाएं बस्ती के अस्पताल में कूड़े के ढेर की तरह फेंक दी जाती हैं. ये दवाएं गरीबों को मिल तक नहीं पाती और विभागीय जिम्मेदार लोग इन दवाईयों को कूड़े की तरह पटक देते हैं. 


कूड़े के ढेर में जीवन रक्षक दवाएं


बस्ती के साऊंघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऐसा ही अजब हाल दिखाई दिया जहां कई जीवन रक्षक दवाएं कूड़े के ढेर में पड़ी मिली. अस्पताल गए किसी शख्स ने इन दवाओं का एक वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. जिसके बाद ये वीडियो जिला प्रशासन के पास पहुंच गया, ये वीडियो सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. सीएमओ ने इस मामले की गंभीरता से लेते हुए इंक्वायरी टीम गठित कर की और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र साऊँघाट से इन दवाओं के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. इतना ही नहीं है जांच टीम को सीएमओ ने यह भी निर्देश दिया है कि इन दवाओं की विस्तृत जानकारी उन्हें दें. फिलहाल सीएमओ ने सीएससी के चीफ फार्मासिस्ट को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. 


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सीएमओ ने दिए जांच के आदेश


सीएमओ ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मामला संज्ञान में आते ही वहां चीफ फार्मासिस्ट को हटा दिया गया है. दवाओं की एक्सपायरी कब है, दवाओं के रखरखाव की जिम्मेदारी चीफ फार्मासिस्ट की होती है. इसकी जांच के लिए टीम को भेजा गया है. इनमें डॉक्टर भी गए हैं जो देखेंगे कि ये किस तरह की दवाएं हैं और कब की हैं. उनकी एक्सपायरी कब की थी, क्या रीजन था और जैसा भी परिणाम आएगा. जांच की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. 


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