बीजेपी ने शनिवार को विधान परिषद चुनाव के अपने 30 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए. प्रदेश में इस समय विधान परिषद की 36 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इनके नामांकन की प्रक्रिया 15 मार्च से चल रही है. नामांकन की अंतिम तारीख 21 मार्च है. लेकिन बीजेपी ने अभी तक 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है. इनमें वाराणसी सीट भी शामिल है. माफिया की छवि रखने वाले बृजेश सिंह वहां के निवर्तमान एमएलसी हैं.
कैसा है वाराणसी सीट का मुकाबला?
विधान परिषद की ये 36 सीटें स्थानीय निकाय कोटे की हैं. बीजेपी ने 2016 के चुनाव में भी वाराणसी सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. इस वजह से बृजेश सिंह की जीत आसान हो गई थी.इस बार के चुनाव में वाराणसी सीट पर सपा ने उमेश कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है. वो 21 मार्च को नामांकन दाखिल करेंगे. उमेश चिरईगांव ब्लॉक के रैमला गांव के रहने वाले हैं.इस समय वो सपा में बूथ प्रभारी स्तर के नेता हैं. वहीं लोकदल ने जयराम पांडेय को मैदान में उतारा है.
बृजेश सिंह ने 16 मार्च को ही अपना नामांकन दाखिल कर दिया था. उनकी ओर से दो सेट में पर्चा दाखिल किया गया है. पर्चा दाखिल करने उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह अपने समर्थकों के साथ गई थीं.
वाराणसी सीट पर 2016 में सपा की मीना सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार बृजेश सिंह के बीच कांटे की टक्कर थी. इसके बाद भी बृजेश सिंह ने मीना सिंह को 1 हजार 954 वोटों से मात दे दी थी. उस समय बृजेश सिंह को 3 हजार 38 और मीना को 1 हजार 84 वोट मिले थे. लग रहा है कि बीजेपी एक बार फिर बृजेश सिंह को वाकओवर देने के मूड में है.
कौन हैं बाहुबली बृजेश सिंह?
बृजेश सिंह की छवि बाहुबली की है. वो अभी जेल में बंद हैं. उन पर कई मुकदमे चल रहे हैं. पुलिस ने उन्हें 2008 में ओडिशा से गिरफ्तार किया था. उसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश लाया गया. अभी वो वाराणसी सेंट्रल जेल में बंद हैं. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने माफियों पर कड़ी कार्रवाई की है. उनकी कई संपत्तियां जमींदोंज की गई हैं. इनमें बृजेश सिंह के विरोधी मुख्तार अंसारी का नाम प्रमुख है. खबरों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ सरकार ने बृजेश सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी इसी आधार पर योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से माफियाओं पर की गई कार्रवाई पर सवाल उठाए गए थे. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने इस पर सवाल उठाए थे.