Braxton Hicks Contractions: गर्मी और बढ़ते हुए तापमान ने आम जनजीवन को परेशान कर रखा है. तापमान 47 से 50 डिग्री पार पहुंच गया है, जिससे सड़कों पर निकलना और बाहर चलना मुश्किल बना हुआ है. ऐसे में अस्पतालों में मरीजों की भी संख्या बढ़ रही. वहीं ब्रेक्सटन हिक्स नाम की एक समस्या गर्भवती महिलाओं और उनके पैदा होने वाले बच्चों के लिए काल साबित हो रही है. गर्भवती महिलाएं इस गर्मी और हीट वेव में प्रेगनेंसी पेन के अप्राकृतिक रूप से जूझ रही हैं.


गर्भावस्था में होने वाले प्राकृतिक दर्द के बजाय अब हीट वेव और गर्मी के चलते गर्भवती महिलाओं में अप्राकृतिक दर्द पीड़ा की समस्या उठ रही, जो समय से पहले ही ऐसे दर्द का एहसास गर्भवती महिलाओं को महसूस करा रही है, जिससे उन्हें दर्द उलझन और बीपी की समस्या हो रही है. इसके चलते उनका गर्भपात भी हो रहा है, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा हो रहा है.


महिलाओं को किया जा रहा है जागरूक 


ऐसे कई महिलाएं गर्भावस्था में अस्पताल पहुंच रही हैं, जिनका गर्भपात भी हो गया है. उनके बच्चे की मौत हो गई है. साथ ही महिलाओं की हालत भी गंभीर हो रही है. ऐसे में जिले का स्वास्थ्य महकमा इसके लिए सभी महिलाओं को जागरूक भी कर रहा है. वहीं सीएमएस वंदना सिंह ने बताया कि ये समस्या अक्सर तेज गर्मी, गर्म हवाओं से पैदा हो रही है, जिससे गर्भवती महिलाएं प्रभावित हो रही हैं. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाई जा रही है और आशाबहुओं के जरिए हर घर में जहां गर्भवती महिलाएं हैं वहां इसकी जानकारी दी जा रही है. इसके साथ ही जो महिलाएं अस्पताल चिकित्सीय परीक्षण के लिए पहुंच रही हैं उन्हे भी डॉक्टर की टीम इससे बचने की सलाह दे रही है.


ब्रेक्सटन हिक्स से बचने के लिए तरल पदार्थ का सेवन करें, खीरा, तरबूज, खरबूज, छाछ गन्ने का जूस या अन्य ठंडे जूस का सेवन किया जाए. बिना जरूरत के घरों के बाहर धूप में महिलाएं न निकलें. कमरे के तापमान को संतुलित रखने के लिए घास या खस की चटाई का प्रयोग करे. गर्भवती महिलों को गर्मी से अगर समस्या लगती है तो पहले नजदीकी आशाबहुओं या क्लीनिक पर उपचार लें.


ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई गई टीम 


सीएमएस वंदना सिंह ने इसकी समस्या को लेकर अस्पताल से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जागरूकता के लिए टीम लगा रखी है, जिससे गर्भवती महिलाएं सुरक्षित रहे. उन्हें इस ब्रेक्सटन हिक्स के दर्द से न गुजरना पड़े. डॉक्टर का कहना है की ये दर्द कभी भी किसी भी महीने में महिलाओं को हो सकता है. इस लिए सावधान बरतना ही इसे बचाव है.


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