Chandauli में अनोखी परंपरा, यहां दो गांवों में होता है 'पत्थरयुद्ध', सिर फूटने तक एक-दूसरे पर बरसाते हैं पत्थर
Chandauli News: यूपी के चंदौली में दो गांवों के बीच अनोखी परंपरा निभाई जाती है, आज के दिन दोनों गांव में पत्थरबाजी होती है और ये पत्थरबाजी तब तक चलती है जब तक किसी का सिर न फूट जाए.
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Chandauli News: भारत विविधताओं का देश है, यहां कई तरह रीति-रिवाज, पूजा पाठ और मान्यताएं हैं. कई जगह तो लोगों की ऐसी आस्थाएं हैं जिन्हे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे, आज हम आपको यूपी के चंदौली (Chandauli) में ऐसे ही दो गांवों की कहानी दिखाने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप भी कह उठेंगे कि ऐसा भी कहीं होता है. इन गांवों का नाम है महुवारी और बिशनपुरा गांव. जहां आज के दिन दोनों गांव के बीच जमकर पत्थर बाजी होती है और ये पत्थर बाजी तब तक चलती रहती है जब तक किसी का सिर न फूट जाए या फिर खून न निकल जाए.
बरसों से निभाई जा रही है ये परंपरा
दरअसल 60 के दशक में इन दोनों गांव में महामारी फैल गई थी, जिसकी वजह से लोगों की जान जा रही थी. लोग परेशान और चिंतित थे तभी किसी ने कहा कि दोनों गांव के लोगों को एक दूसरे पर पत्थरबाजी करना होगा और ये तब तक चलती रहनी चाहिए जब तक किसी का सिर न फूट जाए या किसी को खून न निकल जाए. बस इसी के बाद गांव के लोगों ने बीमारी को दूर करने के लिए पत्थरबाजी शुरू कर दी. इन दोनों गांवों में ये परंपरा आज तक चलती आ रही है.
महिलाएं भी होती हैं शामिल
सालों पुरानी इस परंपरा को देखने के लिए दोनों गांव की महिलाएं भी आती है. इस दौरान वो कजरी गाती है और इसे खेलती थी हैं. महुवारी गांव के एक बुजुर्ग का कहना है कि उनके बाप-दादा के जमाने से ये चलता आ रहा है. इसके होने से बीमारी नहीं फैलती. वहीं अगर ये न हो तो हैजा फैल जाता है. वहीं दूसरी तरफ गांव के प्रधान सतेन्द्र सिंह ने कहा कि ये पुरानी परंपरा है जो दशकों से चली आ रही है लेकिन आज के युग में ये अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नही हैं.
प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
दोनों गांवों के बीच ये परंपरा सकुशल तरीके से संचालित होती रहे इसके लिए प्रशासन की ओर से भी तैयारी की गई थी. इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैयार रहती है. सीओ सकलडीहा, SHO बलुवा व भारी पुलिस बल दोनो गांव की तरफ तैनात किया जाता है ताकि कोई पैनिक न फैले. इस पूरे मामले में सीओ अनिरुद्ध सिंह का कहना है ये पुरानी परंपरा है. दोनों गांव के लोग पत्थर बाजी करते है लेकिन अब ये सिर्फ सिंबोलिक ही रह गई है.
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