UP Politics: यूपी में दो राष्ट्रीय पार्टियों बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इसका इंतजार लगातार बढ़ता ही जा रहा है. बीजेपी में जहां तमाम नामों पर मंथन चल रहा है वहीं कांग्रेस पार्टी भी अजय लल्लू (Ajay Kumar Lallu) के इस्तीफे के करीब छह महीने बाद भी प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं कर सकी है और न ही हाल-फिलहाल नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित होने की कोई संभावना दिख रही है. वैसे कांग्रेस पार्टी देरी भले ही कर रही हो, लेकिन नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर रणनीति तय कर रखी है. इस रणनीति पर अमल करने की वजह से ही नये नाम के एलान में देरी हो रही है.

 


यूपी में कौन बनेगा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष?

दरअसल कांग्रेस पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र नया प्रदेश अध्यक्ष तय करना चाहती है. वोटरों को साधने की कवायद में कांग्रेस पार्टी इस बार किसी ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में है. ब्राह्मण चेहरों में भी वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी का नाम सबसे आगे है. पार्टी उनके अनुभव का फायदा लेते हुए लोकसभा चुनाव में उनकी सक्रियता का फायदा लेने की फिराक में है. हालांकि कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि प्रमोद तिवारी फिलहाल ये ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं है.

 

अंदरखाने खबर यह है कि प्रमोद तिवारी को इस बात का एहसास है कि मोदी मैजिक के सामने फिलहाल यूपी में कोई बड़ा चमत्कार ही कोई गुल खिला सकता है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रमोद के इंकार के बाद कांग्रेस पार्टी उनकी बेटी और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्र मोना पर दांव लगा सकती है.

 

बीजेपी के बाद ही तय करेगी कांग्रेस

प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की रणनीति है कि नये प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर जल्दबाजी में कोई हड़बड़ाहट नहीं दिखानी है. कांग्रेस पार्टी पहले बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष के नाम का इंतजार करेगी. इसके बाद ही प्रदेश में अपने मुखिया के नाम का एलान करेगी. अगर बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बैकवर्ड या दलित समुदाय से होता है तो कांग्रेस प्लान ए के तहत किसी ब्राह्मण चेहरे पर ही दांव लगाएगी. हालांकि अगर बीजेपी किसी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो कांग्रेस प्लान बी पर काम करेगी. वह ब्राह्मण के सामने ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाएगी. अगर बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण होता है तो कांग्रेस किसी दलित या गैर यादव ओबीसी को यूपी की कमान संभाल सकती है. 

 

क्या मुस्लिम चेहरे पर दांव चल सकती है कांग्रेस?

वही दूसरी तरफ पार्टी का एक वर्ग इस बार मुस्लिम को संगठन का मुखिया बनाए जाने की मांग कर रहा है, लेकिन मौजूदा हालातों के मद्देनज़र पार्टी यह रिस्क शायद ही लेगी, क्योंकि ऐसा होने पर वोटों के ध्रुवीकरण का खतरा हो सकता है. पार्टी का एक धड़ा इस बार प्रदेश को कई अलग अलग ज़ोन में बांटकर अलग -अलग समुदायों के बड़े नेताओं को कमान सौंपे जाने की मांग कर रहा है. पार्टी क्या कुछ निर्णय लेती है, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह लगभग तय है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान बीजेपी के यूपी मुखिया के तय होने के बाद ही होगा. माना जा रहा है कि कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण या फिर दलित समुदाय से होने की संभावना ज़्यादा है.


 

प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस की रणनीति 

गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश के मुखिया अजय लल्लू से इस्तीफ़ा ले लिया था. यूपी के साथ ही पंजाब और उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्षों से भी इस्तीफ़ा ले लिया गया था. इस्तीफे के करीब छह महीने बाद भी नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान नहीं होने की वजह से सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है. लेकिन, अब यह लगभग तय हो चुका है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान होने के बाद ही कांग्रेस के प्रदेश मुखिया के नाम पर औपचारिक तौर पर मंथन किया जाएगा.  

 

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