Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ (Lucknow) बेंच ने शुक्रवार को गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना (Gomti River Front Development Project) में सलाहकार रहे आरोपी बद्री श्रेष्ठ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. यह आदेश पारित करते हुए, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने कहा,'ऐसे मामलों में जहां राजनेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन की हेराफेरी की जाती है, आरोपी अग्रिम जमानत के हकदार नहीं हैं.'


2017 में दर्ज हुआ था मामला
इससे पहले याचिका का विरोध करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिवक्‍ता अनुराग सिंह ने तर्क दिया कि मामले में प्राथमिकी 2017 में गोमती नगर पुलिस के पास दर्ज की गई थी. इसके बाद जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई. उन्होंने कहा कि मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं, इसलिए वह जमानत का हकदार नहीं है.


सपा सरकार में शुरू हुई थी परियोजना
समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में राज्य की राजधानी में गोमती रिवर फ्रंट का विकास करना शामिल था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में भ्रष्टाचार के संबंध में मार्च 2018 में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया था.


लगाया गया था यह आरोप
सीबीआई के आला अधिकारी के मुताबिक इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गोमती नगर लखनऊ में एफ आई आर नंबर 831/ 217 दर्ज की थी. यह आरोप लगाया गया था कि सिंचाई विभाग यूपी सरकार द्वारा गोमती नदी चैनेलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट मैं जमकर धांधली की गई और तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर ठेके बांटे गए. यह भी आरोप है कि यह ठेके जानबूझकर कुछ ऐसी कंपनियों को बांटे गए जिसका सीधा संपर्क सरकारी कर्मचारियों और बड़े लोगों से था. यह भी आरोप है कि इस मामले में कुछ राजनेताओं ने भी अवैध तरीके से ठेके दिए जाने की सिफारिश की थी.



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