Jalaun News: पूरे उत्तर भारत में गर्मी बढ़ने के साथ ही मिट्टी से बने मटकों की मांग भी बढ़ गई है. लेकिन इसके साथ ही इस बार मटकों के दामों में अच्छा खासा इजाफा भी हुआ है. कोरोना काल में लोगों ने ठंडे पानी से परहेज किया. लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल मटकों के दाम दोगुने हो गए हैं. मटका विक्रेता इसे महंगाई का असर बता रहे हैं. वहीं खरीददारी करने आए ग्राहकों का कहना है कि मटकों के दाम दोगुने हो गए हैं. 

 

गर्मियों में बढ़ी मटकों की मांग


बता दें कि इस बार की गर्मी ने शुरुआत में ही अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. आलम ये है कि तापमान अभी 42 डिग्री के करीब पहुंच गया हैं. अप्रैल में ये हालात है तो मई-जून के महीनों कितनी प्रचंड गर्मी पड़ेगी. वहीं गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर के बाजार में मटको की दुकानें लग चुकी हैं, जिनकी मांग भी बनी हुई है. लेकिन इस बार मटकों की कीमतों ने लोगों का पसीना निकाला हुआ है. पिछले साल की तुलना में इस साल मटके के दाम दोगुने हो गए हैं.

 

दोगुनी कीमत पर बिक रहे है मटके

 

बाजार में मटके की खरीदी के लिए पहुंचे प्रदीप ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार मटके काफी महंगे बिक रहे हैं. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी इनकी कीमत और बढ़ जाएगी. वहीं मटका खरीद रहे दूसरे ग्राहक राजू ने बताया कि वे दो मटके खरीदने आए थे, लेकिन मटकों के अधिक दाम को देखते हुए एक ही मटका खरीद कर ले जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि छोटे से मटके के कीमत पहले 60 से 70 रूपए हुआ करती थीं जो अब 150 से 200 रूपए के बीच बिक रहे हैं. 

 

मटकों पर दिखा महंगाई का असर

 

वहीं मटका विक्रेताओं का कहना है कि कोरोना के बाद से सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं. जिसके चलते ही मटकों के दाम भी बढ़े हैं. गर्मी को देखते हुए बाजार में मटके की मांग बनी हुई है. महंगाई की मार से देसी फ्रिज कहे जाने वाले मटके भी अछूते नहीं हैं. मटके के निर्माण के लिए मिट्टी, पैरा व लकड़ी सभी सामग्री खरीदनी पड़ती है. सभी के दामों में बढ़ोत्तरी हई है, जिसके कारण ही मटके के दाम भी बढ़े हैं.