UP News: यजदान बिल्डर्स (Yazdan Builders) द्वारा अवैध तरीके से बनाये गए अलाया हेरिटेज अपार्टमेंट (Alaya Heritage Apartments) को जमींदोज करने की कार्रवाई सोमवार से शुरू हो गयी. हंगामे की आशंका के चलते मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया. हालांकि एलडीए (LDA) की इस कार्रवाई से इस अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदने वालों पर संकट आ गया है. फ्लैट खरीदारों का कहना है कि जब उन्होंने फ्लैट लिया तो उन्हें एलडीए का नक्शा, रेरा का पंजीकरण सब दिखाया गया, फिर यह अवैध कैसे है?


जमीन अवैध थी तो एलडीए ने कैसे बनने दी बिल्डिंग
फ्लैट खरीदारों का कहना है कि अगर जमीन का कोई मसला था तो एलडीए ने बिल्डिंग को बनने कैसे दिया? एलडीए अगर बिल्डिंग बनने नहीं देता तो कोई फ्लैट नहीं खरीदता. इस अपार्टमेंट में कुल 48 फ्लैट हैं. बायर्स ने बताया कि इसमें से 36 फ्लैट की रजिस्ट्री हो चुकी है. इन लोगों ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से सपनों का आशियाना लिया. आज अगर ये गिराया जा रहा है तो एलडीए खुद दोषी है. बिल्डिंग गिराए जाते वक्त तमाम बायर्स मौके पर भी पहुंचे और एलडीए भी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली.


वैसे सवाल उठना लाज़मी है कि 6 मंजिला अपार्टमेंट बनकर तैयार हो गया, फ्लैट्स की रजिस्ट्री होती रही लेकिन तब एलडीए ने ये सब क्यों नहीं रोका? अगर एक बोर्ड भी लगवा दिया होता कि ये बिल्डिंग अवैध है तो लोग फ्लैट न लेते. साफ जाहिर है कि यह अवैध निर्माण एलडीए के जिम्मेदारों की सांठगांठ से तैयार हुआ है. ये अलग बात है कि अब एलडीए अपनों को बचाने में लगा है.


बिल्डिंग को तोड़ने पर खर्च होंगे 48 लाख
इस बिल्डिंग को गिराने के लिए मुंबई से एक्सपर्ट टीम बुलाई गई है. करीब 46 लाख इस बिल्डिंग को तोड़ने पर खर्च होंगे जिसकी वसूली बिल्डर से ही होगी. मौके पर पहुंचे एलडीए के अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि बिल्डर ने 2015 में नक्शा दाखिल किया था, लेकिन नजूल की एनओसी न होने के कारण इनका नक्शा जारी नहीं हो पाया. 


उसी बीच में बिल्डर ने निर्माण करना शुरू कर दिया. इस पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने धारा 27 का नोटिस जारी किया. बिल्डर को पर्याप्त समय भी दिया गया लेकिन उन्होंने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया. प्राधिकरण ने बिल्डिंग को गिराने का आदेश दिया, लेकिन फिर भी वो निर्माण करते रहे. इसके बाद प्राधिकरण ने बिल्डिंग को सील किया, लेकिन बिल्डर तब भी नहीं माना.


वर्ष 2020-21 में बिल्डर कमिश्नर कोर्ट में गए, इनका कहना था कि प्राधिकरण ने हमें सुना नहीं और अब गलत ढंग से बिल्डिंग गिरा रहे हैं.  कमिश्नर ने मामले की पूरी  सुनवाई के बाद कहा कि प्राधिकरण का आदेश बिल्कुल सही है. इसके बाद इसी साल मार्च में बिल्डिंग गिराने का काम शुरू हुआ  लेकिन तब प्राधिकरण पूरी बिल्डिंग नहीं गिरा पाया.  इस बीच ये लोग उच्च न्यायालय भी गए थे कि प्राधिकरण गलत ढंग से हमारी बिल्डिंग गिरा रहा है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इनकी रिट याचिका खारिज कर दी. उसी क्रम में इसे गिराना शुरू किया गया है, बिल्डिंग को गिराने में लगभग 1 महीने का समय लगेगा.


फ्लैट खरीदारों का पैसा कौन वापस करेगा
वहीं अपर सचिव ने बताया कि एलडीए से इसका कोई नक्शा पास नहीं किया है, जब एबीपी गंगा ने सवाल किया कि यहां फ्लैट खरीदने वाले बायर्स का क्या होगा तो अपर सचिव ने कहा की वे बिल्डर से पैसा वापस लें, एलडीए से जो सहयोग होगा करेंगे. हालांकि इस पूरे मामले में अपर सचिव भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि भ्रष्ट तंत्र की देन इस इमारत के खड़ा होने के लिए ज एलडीए के जो जिम्मेदार लोग है उन पर कब और क्या करवाई होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जिम्मेदारों पर देखेंगे क्या कार्रवाई होनी है. ताज्जुब ये है कि एलडीए ने अब तक किसी को चिन्हित तक नहीं किया है. अपर सचिव ने कहा कि जांच करनी पड़ेगी तब कुछ कह पाएंगे.


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