UP News: उत्तर प्रदेश में इन दिनों तमाम जिलों और जगहों के नाम बदलने की सियासत जोरों-शोरों से हो रही है. इस बीच अब सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) की ससुराल के गांव का नाम बदले जाने की तैयारी है. इसके लिए बाकायदा जिला पंचायत (Jila Panchayat) में प्रस्ताव पेश किया जा चुका है. उम्मीद है कि जल्द होने वाली अगली बैठक में उनकी ससुराल के गांव का नाम अफजलपुर (Afzalpur wari) से बदलकर शिवपुर (Shivpur) कर दिया जाएगा. इसके पीछे दलील यह दी जा रही है कि अफजलपुर गांव से आतंकी अफ़ज़ल गुरु का नाम जुड़ा हुआ है, इसलिए इसमें बदलाव किया जा रहा है. 


बदला जाएगा डिप्टी सीएम की ससुराल का नाम


केशव प्रसाद मौर्य की ससुराल का नाम अफजलपुर है, ये बात अलग है कि ये आतंकी अफजल के नाम पर नहीं बल्कि सत्तर साल पहले यहां रहने वाले ज़मींदार अफ़ज़ल के नाम पर रखा गया था. बहरहाल डिप्टी सीएम केशव की ससुराल का नाम बदले जाने के प्रस्ताव पर सियासी कोहराम और विवाद दोनों ही छिड़ गया है. इस पूरे मसले पर डिप्टी सीएम और उनके परिवार के साथ ही ससुराल के लोगों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है.  


जिला पंचायत में होगी चर्चा 


दरअसल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की पत्नी राजकुमारी देवी कौशाम्बी जिले की सिराथू तहसील के अफजलपुर वारी गांव की रहने वाली हैं. ये गांव सिराथू तहसील मुख्यालय से करीब पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर है. इस ग्राम सभा में खूझा - मीरापुर- मैदहाई- बाले का पूरा और कैथीपुर नाम के पांच मजरे हैं. ग्रामसभा में ओबीसी-दलित और मुस्लिम वर्ग के लोग बहुतायत में रहते हैं. केशव मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद अफजलपुर वारी गांव अचानक सुर्ख़ियों में आ गया था. बीते दिनों हुई जिला पंचायत की बैठक में वार्ड नंबर बारह के सदस्य तूफ़ान सिंह यादव ने अफजलपुर वारी का नाम बदलकर शिवपुर वारी किये जाने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव पर जल्द ही जिला पंचायत की खुली बैठक में चर्चा होगी. 


इस बात पर जताई गई है आपत्ति


प्रस्ताव रखने वाले सदस्य तूफ़ान सिंह यादव की तरफ से दलील दी गई है कि अफजलपुर गांव में अफ़ज़ल नाम कतई ठीक नहीं है, क्योंकि इसके साथ देश की संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफ़ज़ल गुरु का नाम जुड़ा हुआ है. ऐसे में इसे बदल दिया जाना चाहिए. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि देश की आज़ादी से पहले भी इस ग्राम सभा का नाम शिवपुर वारी ही था, लेकिन सत्तर साल पहले इसका नाम गांव के ही रसूखदार ज़मींदार अफ़ज़ल अहमद के नाम पर कर दिया गया. इस बारे में तूफ़ान सिंह यादव का कहना है कि अफजलपुर वारी नाम होने से कई बार लोग इसे आतंकी अफ़ज़ल गुरु से जोड़ने लगते हैं और यहां के लोगों को शर्मिंदगी झेलते हुए सफाई देनी पड़ती है. 


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चर्चा के बाद होगा फैसला


इस बारे में जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर का कहना है कि प्रस्ताव पर नियम के मुताबिक़ चर्चा कराकर ही कोई फैसला लिया जाएगा. बीजेपी के कई अन्य नेताओं ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए नाम बदलने की वकालत की है. उनका कहना है कि सनातन परंपरा का एहसास कराने वाली तमाम जगहों के नाम मुगलों के राज में बदल दिए गए थे. ऐसे में एक संत सीएम की अगुवाई में बीजेपी की सरकार होने पर इन्हें फिर से बदलना ही ठीक रहेगा. दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों से जुड़े नेताओं का कहना है कि बीजेपी सरकारों के पास अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए कोई काम तो है नहीं, इसी वजह से वह नाम बदलने के शिगूफे छोड़ती रहती है. 


इन शहरों के बदले जा चुके हैं नाम


गौरतलब है कि यूपी में साल 2017 में योगी की सरकार बनने के बाद सबसे पहले मुग़लसरांय रेलवे स्टेशन का नाम दीन दयाल उपाध्याय किये जाने की सिफारिश की गई थी. इसके बाद इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फैज़ाबाद जिले का नाम अयोध्या किया गया. अलीगढ़ और सुल्तानपुर जैसे शहरों का नाम बदलने की खबरें भी अक्सर सामने आती रहती हैं. ऐसे में अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की ससुराल के गांव का नाम अफजलपुर से बदलकर शिवपुर किये जाने के प्रस्ताव पर फिर से सियासत शुरू हो गई है. 


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