Pratapgarh News: डॉक्टर्स की आपसी लड़ाई में प्रतापगढ़ मेडिकल कालेज बना अखाड़ा, एक-दूसरे पर लगाया गंभीर आरोप
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का मेडिकल कॉलेज अखाड़ा बन गया है. यहां आए दिन दलाली को लेकर मारपीट और बवाल मचा रहता है.दलाली के चक्कर मे डॉक्टर भी दो धड़ों में बट गए है.
Pratapgarh News: डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन यूपी स्थित प्रतापगढ़ मेडिकल कालेज में तैनात डॉक्टरों के कारनामों ने इन्हें भगवान नहीं बल्कि दंगल का पहलवान बना दिया है. गौरतलब है कि मेडिकल कालेज में इन दिनों डॉक्टरों के दो गुटों के बीच तनातनी जारी है, और वे एक दूसरे पर आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज भी करवा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में मरीजों का शोषण भी खूब हो रहा है.
मरीजों को बाहर इलाज कराने के लिए मजबूर किया जाता है
बता दें कि मेडिकल कालेज में सीटी स्कैन छोड़कर सभी जांचों के लिए बेहतरीन लैब होने के बावजूद निहित स्वार्थों के चक्कर मे मरीजों को बाहर जांच करवाने के लिए मजबूर किया जाता है. इतना ही नहीं अस्पताल के आसपास मौजूद निजी अस्पतालों में ऑपरेशन व भर्ती होने पर भी मजबूर किया जाता है. इसकी एक बानगी मेडिकल कालेज के सर्जिकल वार्ड में देखने को मिली. यहां भर्ती मरीज भोलेनाथ ने हड्डी के डॉक्टर सचिन का नाम लेते हुए अस्पताल में हो रहे शोषण का खुलासा किया था.
डॉक्टर भी एक दूसरे पर लगा रहे आरोप
इस वीडियो के वायरल होने के कुछ दिन बाद ही इमरजेंसी के सामने दलालों के दो गुटों में जमकर मारपीट भी हुई थी. इस घटना का सीसीटीवी फुटेज भी खूब वायरल हो रहा है. इधर सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के दूसरे दिन से ही डॉक्टरों में लामबंदी शुरू हो गई है. वहीं डॉक्टर सचिन ने कोतवाली में दी गई तहरीर में हड्डी रोग विशेज्ञ डॉ. जेपी वर्मा व ईएमओ डॉ. अनुज चौरसिया समेत दो अन्य कर्मचारियों पर मारपीट, गालीगलौज और हत्या के प्रयास का आरोप लगाया है. पुलिस ने सचिन की तहरीर पर 307 व एससी/एसटी समेत आधा दर्जन आइपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. वहीं मुकदमा दर्ज होने के बाद से डॉक्टरों में भारी आक्रोश है. डॉक्टरों ने सीएमएस से मिलकर अपना पक्ष भी रखा है हालांकि अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. ऐसे में ये लड़ाई अब संविदा डॉक्टर बनाम स्थाई डॉक्टरों की बन गई है.
मेडिकल कॉलेज के प्रचार्य ने क्या कहा
बता दें कि काफी इंतजार के बाद बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए साल 2017 में प्रतापगढ़ के लिए सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दी गई थी. उस समय जिले के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी. और लोगों कोआस जगी थी कि अब उन्हें इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन उनकी ये आस सिर्फ आस ही रही. जिले में मेडिकल कालेज तो जरूर बना लेकिन वह इलाज का केंद्र कम, राजनीति और दंगल का अखाड़ा ज्यादा बन गया.
मेडिकल कालेज में हुई घटनाओं की बाबत प्राचार्य आर्य देशदीपक ने बताया कि मामला संज्ञान में है मेडिकल कालेज में सभी प्रकार की सुविधाएं मौजूद है हालांकि टेक्नीशियन की संख्या अभी कम है. सेवायोजन के माध्यम से भर्ती की प्रक्रिया की जा रही है, जैसे टेक्नीशियन की स्टेन्थ पूरी हो जाएगी 24 घंटे जांच की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी. हालांकि प्रिंसिपल साहब ने ओपीडी के समय बाहर की जांच और दवा लिखे जाने की बात पूछे जाने पर कन्नी काट ली.
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