Lucknow KGMU News: राजधानी लखनऊ (Lucknow) के KGMU में सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेश तक से लोग बेहतर व उच्च स्तरीय इलाज के लिए आते हैं. इनमें बड़ी संख्या उन मरीजों की होती है जो निजी अस्पतालों में महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, लेकिन KGMU के विभिन्न विभागों से एक-एक कर विशेषज्ञ डॉक्टरों के इस्तीफे ने मुसीबत खड़ी कर दी है. पिछले करीब 3 साल में लगभग एक दर्जन डॉक्टर्स KGMU को अलविदा कहकर निजी अस्पतालों या अन्य संस्थानों का रुख कर चुके है.
डॉक्टरों ने किया निजी अस्पतालों का रुख
हाल ही में गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. संदीप वर्मा ने KGMU से इस्तीफ़ा देकर राजधानी के एक बड़े निजी अस्पताल का रुख किया है. इससे पहले इसी विभाग के डॉ. साकेत, डॉ. विशाल और डॉ. प्रदीप जोशी भी संस्थान को अलविदा कह चुके हैं. अब इस विभाग में 3 नियमित और दो संविदा डॉक्टर ही बचे हैं. KGMU ने अपने यहां हर महीने एक लिवर ट्रांसप्लांट का लक्ष्य रखा था, लेकिन पिछले तीन साल में 16 ट्रांसप्लांट ही हो पाये हैं. गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में प्रतिदिन लगभग 200 मरीज OPD में आते हैं. इस अस्पताल में पहले ही मरीजों को लेकर काफी दबाव था और अब एक और डॉक्टर के जाने से मुश्किलें बढ़ गईं हैं.
हाल ही में गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. संदीप वर्मा ने KGMU से इस्तीफ़ा देकर राजधानी के एक बड़े निजी अस्पताल का रुख किया है. इससे पहले इसी विभाग के डॉ. साकेत, डॉ. विशाल और डॉ. प्रदीप जोशी भी संस्थान को अलविदा कह चुके हैं. अब इस विभाग में 3 नियमित और दो संविदा डॉक्टर ही बचे हैं. KGMU ने अपने यहां हर महीने एक लिवर ट्रांसप्लांट का लक्ष्य रखा था, लेकिन पिछले तीन साल में 16 ट्रांसप्लांट ही हो पाये हैं. गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में प्रतिदिन लगभग 200 मरीज OPD में आते हैं. इस अस्पताल में पहले ही मरीजों को लेकर काफी दबाव था और अब एक और डॉक्टर के जाने से मुश्किलें बढ़ गईं हैं.
लखनऊ KGMU छोड़ चुके हैं दर्जनभर डॉक्टर
डॉक्टरों के एक-एक कर जाने की वजह से यहां की व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है. KGMU का नेफ्रोलोजी विभाग इस समय शिक्षक विहीन है. यहां के एक मात्र शिक्षक डॉ. संत प्रसाद पांडे ने करीब 3 साल पहले इस्तीफ़ा देकर निजी संस्थान ज्वाइन कर लिया था. इसके बाद विभाग में कोई नई भर्ती नहीं हुई. नतीजा ये की यहां एक भी किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया. किसी तरह मेडिसिन विभाग के डॉक्टर्स की मदद से यहां डायलिसिस का काम चल रहा है. आईए आपको बताते हैं कि यहां से 3 सालों में कितने डॉक्टर जा चुके हैं.
- गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टर संदीप वर्मा ने छोड़ा KGMU
- इसी विभाग के डॉ साकेत, डॉ विशाल, डॉ. प्रदीप जोशी भी जा चुके हैं
- नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. संत प्रसाद पांडे, न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ सुनील कुमार और डॉ अनूप जायसवाल
- ट्रांसप्लांट यूनिट के डॉ. मनमीत सिंह, सीवीटीएस विभाग के डॉ विजयंत देव ने भी दिया इस्तीफा
- गठिया रोग विभाग के डॉ अनुपम वाखलू, एंडोक्राइन मेडिसिन विभाग के डॉ मधुकर मित्तल भी यहां से जा चुके हैं.
डॉक्टरों के एक-एक कर जाने की वजह से यहां की व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है. KGMU का नेफ्रोलोजी विभाग इस समय शिक्षक विहीन है. यहां के एक मात्र शिक्षक डॉ. संत प्रसाद पांडे ने करीब 3 साल पहले इस्तीफ़ा देकर निजी संस्थान ज्वाइन कर लिया था. इसके बाद विभाग में कोई नई भर्ती नहीं हुई. नतीजा ये की यहां एक भी किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया. किसी तरह मेडिसिन विभाग के डॉक्टर्स की मदद से यहां डायलिसिस का काम चल रहा है. आईए आपको बताते हैं कि यहां से 3 सालों में कितने डॉक्टर जा चुके हैं.
- गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टर संदीप वर्मा ने छोड़ा KGMU
- इसी विभाग के डॉ साकेत, डॉ विशाल, डॉ. प्रदीप जोशी भी जा चुके हैं
- नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. संत प्रसाद पांडे, न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ सुनील कुमार और डॉ अनूप जायसवाल
- ट्रांसप्लांट यूनिट के डॉ. मनमीत सिंह, सीवीटीएस विभाग के डॉ विजयंत देव ने भी दिया इस्तीफा
- गठिया रोग विभाग के डॉ अनुपम वाखलू, एंडोक्राइन मेडिसिन विभाग के डॉ मधुकर मित्तल भी यहां से जा चुके हैं.
डॉक्टरों के जाने से मरीजों की परेशानी बढ़ी
इस संस्थान से इतने सारे स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के जाने से मरीजों को खासी परेशानी हो रही है. KGMU के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है की ये एक नियमित प्रक्रिया होती है. कई बार डॉक्टर व्यक्तिगत कारण से निजी संस्थान चले जाते हैं. हम देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स में है. हमारे साथ बड़ी संख्या में फैकल्टी है. सुपर स्पेशलाइजेशन विभाग में भर्तियां भी होती रहती हैं. सबसे बड़ा दुर्भाग्य महामारी का रहा, दो साल ऐसे रहे जिसमें हम कोई स्थाई भर्तियां शुरू नहीं करा पाए. अब भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है, जल्द हम भर्ती प्रक्रिया पूरी कर लेंगे. डॉक्टर्स के करीब 200 पद खाली हैं जिन पर भर्ती होनी है.
UP BJP Chief: भूपेंद्र सिंह चौधरी बने यूपी बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष, योगी सरकार में हैं मंत्री
UP BJP Chief: भूपेंद्र सिंह चौधरी बने यूपी बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष, योगी सरकार में हैं मंत्री
डॉक्टरों के जाने से संस्थान को नुकसान
KGMU टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. केके सिंह कहते हैं कि हमारे संस्थान में करीब 500 डॉक्टर है. कुछ ने पैसे को महत्व देकर संस्थान छोड़ा है. हम डॉक्टर तैयार करते हैं. ऐसे में एक डॉक्टर के जाने से भी बड़ा नुकसान होता है. गैस्ट्रो सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, नेफ्रोलोजी महत्वपूर्ण विभाग हैं. केजीएमयू में एडमिनिस्ट्रेटिव सेटअप नहीं है. चाहे आईटी का काम हो, गाड़ियों का रखरखाव हो सब डॉक्टर को करना है. कोई टेक्निकल बैकअप नहीं है. इसलिए कुछ काम करने वालों को जब बाधा जाती हैं तो परेशान होते हैं.
डिप्टी सीएम ने की डॉक्टरों से अपील
इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि हम लगातार इस विषय पर संवेदनशील है. चिकित्सकों से अनुरोध करते हैं कि हमारी मदद करें. हम उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधा देने के लिए हर समय रोगियों के साथ खड़े हैं. हमारा दायित्व है कि प्रदेश में दुनिया की उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगे. डॉक्टर से अपील करते हैं कि इन चिकित्सा संस्थानों ने उन्हें बहुत कुछ दिया है अगर कोई समस्या है तो बताएं.
ये भी पढ़ें-