Etah Medical College: एटा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी से 30 जुलाई को 4 साल की बच्ची की मौत मामले में जांच में दोषी पाए गए स्वास्थ्य टेक्नीशियन को बर्खास्त कर दिया गया है. यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए एटा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और सीएमओ डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी को जाँच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. जिसके बाद ये कार्रवाई की गई. लेकिन जिस पूरे मामले में सिर्फ संविदा कर्मी स्वास्थ्य टेक्नीशियन की बर्खास्तगी काफ़ी नहीं है. इसमें मेडिकल कॉलेज के बड़े अधिकारियों और डॉक्टरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.
ऑक्सीजन के अभाव में बच्ची की मौत
दरअसल एटा मेडिकल कॉलेज में 30 जुलाई को ऑक्सीजन के अभाव में 4 साल की बच्ची की मौत हो गई थी.आरोप लगा था कि मेडिकल कॉलेज की ऑक्सीजन पाइप लाइन खराब थी और बच्ची को रेफर करने के लिए दो एंबुलेंसों में भी ऑक्सीजन नहीं थी. ऑक्सीजन देर से मिलने की वजह से आगरा ले जाते हुए रास्ते में ही मासूम बच्ची की मौत हो गई. लेकिन ब्रजेश पाठक के निर्देश पर जब इन आरोपों की एटा के सीएमओ ने जांच की, तो ये उनके अनुसार ये आरोप सही नहीं पाए गए.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल एटा के वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में बुखार पीड़ित बच्ची को भर्ती कराया गया था, परिजनों ने आरोप लगाया था कि ऑक्सीजन के अभाव में दो घंटे तक मासूम तड़पती रही, यही नहीं गंभीर हालत होने पर जब बच्ची को ऑक्सीजन लगाई तो पाइपलाइन में लगा बाल्व खराब निकला था. जिसके बाद उसे आगरा के लिए रेफर कर दिया गया. बच्ची को जब रेफर किया गया तो एंबुलेंस में भी ऑक्सीजन नहीं थी, जिसके बाद आगरा ले जाते हुए उसकी मौत गई. परिजनों ने वार्ड में ऑक्सीजन न मिलने और एम्बुलेंस मे ऑक्सीजन न होने वीडियो भी बनाये हैं जिनको देखने पूरी सच्चाई सामने आ गई.
जांच के बाद स्वास्थ्य टेक्नीशियन बर्खास्त
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए एटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और मुख्य चिकित्सा डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी को इस मामले की जांच करने के बाद कार्रवाई के निर्देश दिए थे. जिसके बाद स्वास्थ्य टेक्नीशियन को बर्खास्त कर दिया. सीएमओ ने बताया कि बच्ची को ऑक्सीजन बेड पर भी दी गयी थी और उसके बाद आगरा रेफर किये जाने पर भी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन लगी हुई थी. आगरा में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हुई थी. उन्होंने कहा कि आफ़ताब हुसैन को इसलिए बर्खास्त किया गया है क्योंकि उसकी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं थी.
सीएमओ ने कहा कि ये कहना सही नहीं होगा कि बच्ची की जान ऑक्सीजन की कमी से हुई है. बच्ची को निमोनिया था और मेनिन्जाइटिस था. बच्ची की मौत की सही वजह आगरा अस्पताल से ही पता चल सकती है.
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परिजनों का अस्पताल पर गंभीर आरोप
दूसरी तरफ परिजनों का आरोप है कि बच्ची को हल्का बुखार होने पर अस्पताल लाया गया था. बच्ची को सुबह 6 बजे एडमिट कराया गया था लेकिन 10 बजे तक कोई इलाज नहीं हुआ और 11 बजे के बोल दिया कि एस एन मेडिकल कॉलेज आगरा के लिए रेफर कर रहे हैं. जिसके बाद हमने एंबुलेंस बुलाई. करीब आधा घंटा लेट एंबुलेंस आई उसमें ऑक्सीजन नहीं थी. जिसके बाद फिर उसे बेड पर ले जाया गया. 15-20 मिनट बाद दूसरी एंबुलेंस आई उसमें भी मास्क नहीं था. ऐसे ही देरी होती रही. बिस्तर पर भी ऑक्सीजन का नोजिल ख़राब था. इसके बाद बच्ची का बेड बदला गया वहां ऑक्सीजन थी.
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