Etawah Municipal Corporation: इटावा (Etawah) नगरपालिका परिषद में इन दिनों भ्रष्टाचार की जड़े बेहद मजबूत हो रही हैं ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि खुद नगरपालिका के 12 सभासदों ने लगाया है. कभी टेंडर प्रक्रिया में धांधली तो अब अत्याधिक डीजल खपत और कर्मचारियों के ईएसआई में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. कर्मचारियों और सभासदों ने ईओ और पलिका अध्यक्ष को इसका जिम्मेदार ठहराया है. इनका आरोप है कि जलकल विभाग (Water Deaprtment) के अवर अभियंता रिलीव होने के बाद भी 1 साल तक अपने चहेते ठेकेदारों को कमीशन लेकर करोड़ों के ठेके बांटते रहे. इस मामले की शिकायत अब नगरविकास मंत्री और सीएम योगी (CM Yogi) को भी भेजी गई है.
नगरपालिका के 12 सभासदों का गंभीर आरोप
आरोप है कि नगर पालिका परिषद के जलकल विभाग के सहायक अभियंता मुंशी लाल वर्मा पद से कार्यमुक्त होने के बाद भी 1 साल तक बिना शासन की अनुमति के अपनी कुर्सी पर बने रहे सिर्फ इसलिए ताकि वो अपने चहेते ठेकेदारों को कमीशन खोरी के चलते करोड़ों के ठेके बांटते रहें. मुंशी लाल वर्मा कार्यमुक्त होने के बाद भी निर्माण कार्यों की निविदाएं स्वीकृति करने की समिति में काम करते रहे और अपनी भ्रष्टाचार की काली स्याही से करोड़ों रुपये के टेंडर का बंदरबांट करते रहे. बावजूद इसके उच्चाधिकारियों और नगरपालिका अध्यक्ष ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.
ट्रांसफर के बावजूद पद पर टिके रहे
दरअसल शासन के आदेश पर 31 दिसंबर 2020 को ही मुंशी लाल वर्मा का इटावा से शिकोहाबाद नगर पालिका परिषद में ट्रांसफर कर दिया गया था. लेकिन तत्कालीन ईओ नगरपालिका अनिल कुमार के द्वारा कार्य प्रभावित ना हो इसके चलते उन्हें कुछ महीनों के लिए रोक लिया गया, लेकिन 22 जुलाई 2021 को ईओ नगर पालिका अनिल कुमार ने सहायक अभियंता मुंशीलाल को कार्यमुक्त कर दिया. इसका लेटर भी जारी किया गया लेकिन इसी बीच ईओ का ट्रांसफर इटावा से हाथरस हो गया. इस मौके का फायदा उठाते हुए सहायक अभियंता मुंशी लाल वर्मा अपने पद पर बने रहे और बराबर इटावा से रिलीव होने के बाद भी अपना वेतन लेते रहे.
सहायक अभियंता पर गंभीर आरोप
इस बारे में समाजवादी पार्टी की नगर पालिका चेयरमैन नौशाबा खानम का कहना है कि मुंशी लाल वर्मा के कार्य मुक्त को लेकर एक डीओ शासन को भेजा गया था जिसमें मांग की गई थी कि मुंशी लाल वर्मा को यहां से कार्य प्रभावित ना हो इसके लिए इन्हें कार्यमुक्त ना किया जाए हालांकि शासन ने इस डीओ का कोई जवाब नहीं दिया था जिसके बाद सवाल खड़ा होता है कि बिना शासन के अनुमति के मुंशी लाल वर्मा कैसे अपने पद पर बने रहे. इस पर नगर पालिका चेयरमैन का कहना है कि बिना शासन के जवाब के ही नगर पालिका चेयरमैन को अधिकार होता है कि वह किसी अधिकारी को रोक सकता है.
सीएम योगी से की शिकायत
नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं सहायक अभियंता मुंशी लाल वर्मा के काले कारनामों को लेकर नगर पालिका परिषद के 12 सभासदों ने मोर्चा खोल दिया है. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री से की गई है. सभासद विकास तोमर ने मुंशी लाल वर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिलीव होने के बाद भी मुंशीलाल वर्मा अपने पद पर बने रहे एवं करोड़ों रुपये के विकास कार्यों का टेंडर अपनी चहेती फर्मों को मोटा कमीशन लेकर बांटते रहे.
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लाखों रुपयों का हुआ बंदरबांट
सभासद रमेश चंद्र बाथम ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वॉल पेंटिंग के नाम पर भी हुआ लाखों रुपए का बंदरबांट हुआ. वॉल पेंटिंग के नाम पर 18 लाख रुपये खर्च कर दिए गए. इसका जेम पोर्टल पर टेंडर भी नहीं निकाला गया. इस 18 लाख के ठेके को टुकड़ों टुकड़ों में कोटेशन पर एक अकेली फर्म को दे दिया गया जबकि नियम है कि 10 लाख से ऊपर के कार्य को कराने के लिए जेम पोर्टल पर टेंडर निकाला जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इन सभी आरोपों को लेकर नगर पालिका ईओ विनय कुमार मणि त्रिपाठी का कहना है कि नगरपालिका चेयरमैन के द्वारा सहायक अभियंता को कार्य प्रभावित ना हो इसके लिए रोक लिया गया था जिसका डीओ शासन को भेजा गया था सभासदों ने जो भी आरोप लगाए हैं उनकी नियमानुसार जांच करा ली जाएगी.
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