Gonda Flood: गोंडा में घाघरा और सरयू ने बरपाया कहर, 18 गांवों में घुसा पानी, पलायन को मजबूर हुए लोग
Gonda Flood: यूपी के गोंडा में घाघरा व सरयू नदी का पानी खतरे के निशान को पार कर गया है जिसके वजह से नदी किनारे बसे कई गांवों में पानी घुस गया है. लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं.
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Gonda Flood: यूपी के गोंडा में घाघरा व सरयू नदी (Ghaghara And Saryu River ) उफान पर हैं. जिसकी वजह से तरबगंज (Tarabganj) और कर्नलगंज (Colonelganj) तहसील क्षेत्र में नदी के किनारे बसे लगभग 18 गांव और 14 हजार की आबादी प्रभावित है. लोग पलायन करने को मजबूर हैं, जिन सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती थी अब वहां नाव और बैलगाड़ी दौड़ रही है. लोग पानी में रहने को मजबूर हैं. दोनों तहसीलों में बाढ़ की वजह से नावें लगा दी गई हैं. जिला प्रशासन का दावा है लोगों की सहायता के लिए 24 बाढ़ चौकियां सक्रिय है. पीड़ितों को राहत सामग्री और त्रिपाल बांटी जा रही है.
घाघरा और सरयू ने पार किया खतरे का निशान
गोंडा में घाघरा और सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है जिसकी वजह से तरबगंज व कर्नलगंज के दर्जनों गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. लोग आने जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं. जलमग्न सड़कों पर अब नाव दौड़ रही हैं. नेपाल के पहाड़ों पर होने वाली बारिश के बाद घाघरा नदी में लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के से घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 80 सेंमी ऊपर हो गया है. ऐसी स्थिति में गोंडा जिले की करनैलगंज व तरबगंज तहसील के कई गांवों में बाढ़ का घुस गया है. जिससे ग्रामीणोंं की जिंदगी अस्त व्यस्त हो गई है. लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं. वहीं प्रशासन बाढ़ पीड़ितों के लिए हर संसाधन मुहैया कराने की बात कह रहा है लेकिन ग्रामीणों के अनुसार वो नाकाफी नजर आ रहा है.
प्रशासन के दावों की खुली पोल
गांवों में आई बाढ़ ने न सिर्फ ग्रामीणों के जीवन में दुश्वारियां उत्पन्न कर दी हैं बल्कि प्रशासन के इंतजामों को भी नाकाफी साबित कर दिया है. घाघरा नदी के पानी ने नकहरा सहित कई गांवों को अपनी आगोश में ले लिया है. गोंडा जिले में जब भी बाढ़ आई है तो अगस्त के आखिरी महीने की या सितंबर के महीने में ही आई है. हालांकि बाढ़ को लेकर इस बार प्रशासन में काफी तैयारियां की थी लेकिन गांव में पानी के आने के बाद उन तैयारियों की पोल खुलती नजर आ रही है. बाढ़ से बचाव के लिए प्रशासन में एक नए बांध का निर्माण कराया था वह भी ग्रामीणों को बाढ़ के दंश से नहीं बचा सका.
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सैकड़ों हेक्टेयर जमीन की फसल बर्बाद
जहां हर साल आने वाली बाढ़ को लेकर ग्रामीणों का अपना दर्द है वहीं अगर प्रशासन की बात करें तो अभी तक की बाढ़ में 200 हेक्टेयर भूमि जिसमें 110 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बाढ़ की चपेट में आई है. इसे लगभग 2000 की आबादी 1500 पशु व करीब 500 परिवार इस बाढ़ की जद में आए हैं. बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए प्रशासन ने यहां राहत कैंपों की स्थापना की है वहीं नाव की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है.
कर्नलगंज के तहसीलदार नरसिंह नारायण वर्मा का कहना है कि बाढ़ की वजह से कई घरों में पानी चला गया है. लोग बांध पर आ रहे हैं. उनके आने-जाने के लिए नावें लगा दी गई हैं. लोगों को त्रिपाल और राशन की किट बांटी जाएगी.
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