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Holi 2022: बरेली में होली से पहले निकाली जाती है ऐतिहासिक राम बारात, देश-विदेश से देखने आते हैं लोग
Holi 2022: बरेली में होली से पहले होने वाली रामलीला को विश्व धरोहर घोषित किया गया है. ये 161 साल पुरानी परंपरा है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं.

बरेली में रामलीला का मंचन
Holi 2022: विजयदशमी के त्योहार से पहले तो देशभर में आपने रामलीला का मंचन देखा होगा लेकिन बरेली में होली से पहले रामलीला का मंचन होता है जो अपने आप में ऐतिहासिक है. बरेली में होने वाली रामलीला इकलौती ऐसा लीला है जो होली के मौके पर आयोजित की जाती है. ये इतनी खास है कि इसे वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शुमार किया गया है और देश-विदेश से लोग इसे देखने के लिए यहां पहुंचते हैं.
होली से पहले रामलीला का आयोजन
बरेली में विश्व विख्यात रामलीला की शुरुआत ब्रिटिश काल में 1861 में हुई थी, तब से लगातार 161 सालों से ये रामलीला होती आ रही हैं. फागुन की पूर्णिमा यानी छोटी होली वाले दिन राम बारात निकाली जाती है, जो शहर के विभिन्न इलाकों से होकर निकलती है इस दौरान पूरा शहर होली के रंगों में सराबोर हो जाता है. इस रामलीला को विश्व विख्यात इसीलिए भी कहा जाता है क्योंकि ये वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल है. 2008 में यूनेस्को ने इस रामलीला को वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल किया था. 2015 में यूपी सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से इसे 1 लाख रुपये की सहायता भी दी जाती है.

161 सालों से चली आ रही है परंपरा
कहते हैं कि बरेली में जब अंग्रेजों से बगावत चल रही थी तब उन्हें मुंहतोड़ जबाब देने के लिए प्रभु श्रीराम की सेना बनाई गई थी. जिसके बाद बड़ी बमनपुरी में रामलीला का मंच शुरू हुआ. अंग्रेजों ने रामलीला को रुकवाने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हुए. तब से लगातार इसका मंचन होता आ रहा है. इस रामलीला का खास आयोजन राम बारात होती है. जो पूरे शहर भर में निकाली जाती है. राम बारात में प्रभु श्री राम की झांकी, भगवान नरसिंह की झांकी के अलावा सैकड़ों खुले ट्रालों में बड़े बड़े ड्रमों में रंग भरकर रखा जाता है. सभी ट्रालों पर हुरियारे होते हैं जो बड़े बड़े पम्पों से एक दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं.

वर्ल्ड हैरिटेज में दर्ज है इसका नाम
राम बारात जब शहर भर से निकलती है तो मुस्लिम समुदाय के लोग उन पर फूलों की बरसात करते हैं. बड़ी बमनपुरी से शुरू होकर नरसिंह मंदिर पर समाप्त होती है. राम बारात का दूसरा मोर्चा चाहबाई से निकलता है और वो कुतुबखाना से मुख्य बारात में शामिल होता है इस दौरान देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग राम बारात को देखने आते है.
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नयन कुमार झाराजनीतिक विश्लेषक
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