Kanpur News: राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल साहू के कत्ल के बाद चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे है. कत्ल के इल्जाम में गिरफ्तार किए गए मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद का जहां पाकिस्तान में बरेलवी फिरके की तंजीम दावत-ए-इस्लामी के साथ कनेक्शन की बात सामने आई है. वहीं इस मामले में यह भी सामने आया है कि आरोपियों और दावत-ए-इस्लामी के कानपुर से भी गहरे रिश्ते रहे हैं. सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो पर गौर करें तो दावते इस्लामी ने अपने एक वीडियो में कानपुर शहर को बहुत अहम बताया है.


जगह-जगह लगा था डोनेशन बॉक्स
सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी की माने तो वो लगातार इस संगठन के खिलाफ बोलते आ रहे है. जिसके एवज में उन्हें लगातार भारत ही नहीं पाकिस्तान से भी जान से मार दिए जाने की धमकियां दी जा रही है. मजीदी की माने तो साल 2021 में सूफी कौसर ने ही कानपुर में जगह जगह दावते इस्लामी के डोनेशन बाक्स लगे होने का मुद्दा उठाया था. उनके शिकायत करने के बाद जब पुलिस ने पड़ताल की तो हर गली नुक्कड़ पे दावते इस्लामी के डोनेशन बाक्स देखने को मिले थे. सूफी कौसर ने आशंका जाहिर की थी कि इस तरह से भारत से कलेक्शन करके इसे पाकिस्तान भेजा जाता है. जो हमारे ही देश के लोगों के खिलाफ गोले बारूद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.



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पाक से आया था दावते इस्लामी का दल
कन्हैयालाल हत्या का कानपुर कनेक्शन सामने आने के बाद कई चौंकाने वाले तथ्य देखने को मिले.  दावते इस्लामी की कानपुर मे गहरी जड़ें हैं. पाकिस्तान से दावते इस्लामी के दल का कानपुर आना जाना लगा रहता है. ये दल कानपुर में एक दो दिन के लिए नहीं बल्कि हफ्तो के हिसाब से ठहरता रहा है. जिसकी तस्दीक पाकिस्तानी चैनल कर रहा है. फरवरी 2014 में पाकिस्तान से दावते इस्लामी का एक दल कानपुर के मुस्लिम बहुल इलाको में आया था.


सूत्र का दावा है कि तब उस दल ने कानपुर मे बरेलवी फिरके के बड़े बड़े धर्म गुरूओ से मुलाकात की थी. जनवरी 2015 में भी यह दल हाफिज हस्सान रजा अत्तारी की अगुवाई में कानपुर आया था. तब भी यह दल यहां हफ्ते भर से ज्यादा वक्त तक रुका था. तब यह दल डिप्टी पड़ाव इलाके मे गुरबत्तुल्ला पार्क स्थित दावते इस्लामी के मरकज मे रूका था. उस दौरान दल ने घूम घूम कर प्रतिष्ठानों घरों में जाकर लोगों से बरेलवी फिरके के धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी.


कासिम हबीबी से मिला था दल
साल 2015 के दावते इस्लामी के दौर में सबसे अहम हस्सान रजा की मौलाना कासिम हबीबी बरकाती से मुलाकात रही थी. हस्सान रजा के साथ दल कासिम हबीबी से मिलने उनके घर गया था. उस वक्त वहां कई धर्मगुरु मौजूद थे. उस दौरान दावते इस्लामी का लिटरेचर भी बांटा गया था. कासिम बरकाती पेशे से सरकारी टीचर है. बासमंडी स्थित बरेलवियों की मस्जिद के सामने सरकारी स्कूल मे पढाते है. बासमंडी की इस मस्जिद को बरेलवियो का गढ़ भी बताया जाता है. यहां बरेलवी फिरके के शहर काजी साकिब अदीब मिस्बाही का अच्छा दखल है. साकिब मिस्बाही का दावत ए इस्लामी को जॉइन करने का वीडियो सामने है जो इसके प्रति उनके नरम रवैया को दिखाता है.


बताया जाता है कि साल 2021 में जब दावते इस्लामी के खिलाफ शिकायत की गई थी तब साकिब अदीब ने ही अपने एक दल के साथ पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण से मुलाकात कर दावते इस्लामी की सफाई पेश की थी. उस वक्त मिस्बाही की अगुवाई में बरेलियों का एक दल दावते इस्लामी की जमकर पैरवी कर रहा था.


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