Kanpur News: कानपुर देहात (Kanpur Dehat) से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिसने प्रशासन के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां की भोगनीपुर तहसील के बेड़ामऊ गांव में एक दलित परिवार को ये कहकर बेघर कर दिया गया कि उसका सरकारी आवास गांव की ग्राम समाज की जमीन पर बना है. परिवार उनके सामने गिड़गिड़ाता रहा लेकिन सरकारी बुलडोजर (Bulldozer) ने उनके आशियाने को जमींदोज कर दिया. इन अधिकारियों की क्रूरता यहीं नहीं थमी उन्हें घर में रखे खाने पीने से लेकर दूसरे जरुरी सामना को भी गांव में बने तालाब के पास फेंक दिया. पीड़ित परिवार ने अब जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है. 


 

बुलडोजर से तोड़ा गरीब का आशियाना
खबर के मुताबिक रामविलास अपने पूरे परिवार के साथ इसी गांव अपना गुजारा कर रहा था. साल 2016 सपा सरकार में इस परिवार को सरकारी कॉलोनी का लाभ मिला, 50 साल से जिस जमीन पर वो रह रहा था उसी जमीन पर उसने सरकारी आवास देकर पक्की छत बना ली. लेकिन बीते दिनों अचानक तहसील प्रशासन दस्तक दी और उनके आशियाने को चंद मिनटों में ही मिट्टी का ढेर बना दिया. पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने घर में रखे खाने-पीने के सामान को भी तालाब के पास फिकवा दिया. ये सब तब हुआ जब रामविलास कानपुर देहात के माटी स्थित कलेक्ट्रेट में होम गार्ड के पद पर भी काम कर चुके हैं

 

पीड़ित परिवार ने लगाया ये आरोप

रोते बिलखते परिवार का आरोप है कि उन्हें नहीं पता कि उनका घर क्यों तोड़ा गया, जबकि गांव में कई ऐसे घर हैं जो इसी तर्ज पर बनाए गए हैं. खुद को न्याय मिलता न देख पीड़ित परिवार कानपुर देहात के जिला अधिकारी कार्यालय की चौखट पर न्याय मांगने के पहुंच गया. उन्होंने बताया कि अब उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है वो जाएं तो कहां जाए. वहीं आला अधिकारी इस मामले में जांच कर न्याय देने की बात कह रहे हैं. 


 

अपर जिलाधिकारी ने कही जांच की बात
इस पूरे मामले पर अपर जिलाधिकारी गरिमा सिंह ने कहा कि बात करने पर पता चला है कि दलित परिवार ने ग्राम समाज के खलियान की जमीन पर घर बना रखा था. उप जिलाधिकारी ने पूरी जांच करने के बाद ही उसे गिराया है. लेकिन फिर भी इस मामले की दोबारा जांच के लिए कहा गया है. जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर पीड़ित परिवार का घर सरकारी आवास पर बनाया गया था तो उसे क्यों गिराया गया. अगर जांच में ये साबित हो जाए कि उसका मकान सरकार द्वारा ही आवंटित किया गया था तो क्या दर-दर भटक रहे इस परिवार को मिली यातनाओं का जिम्मेदार कौन होगा.