Kanpur News: कानपुर में आयकर विभाग (Income Tax Department) द्वारा जन राज्य पार्टी (Jan Rajya Party) के तीन ठिकानों पर की गई छापेमारी (Raid) के मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है. आयकर विभाग के सूत्रों की मानें तो जन राज्य पार्टी ने सवा सौ कार्यकर्ताओं पर 11 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया है जो पड़ताल में फ़र्ज़ी साबित हुआ. आयकर अधिकारियों को बोगस (Bogus) कंपनियों जैसे ही जन राज्य पार्टी की कार्यशैली देखने को मिली है. IT टीम को 10 से 15 लाख रुपए का चंदा देने वालों के आयकर रिटर्न में इतनी कमाई ही नहीं मिली है जिसके बाद ये माना जा रहा है कि जन राज्य पार्टी बोगस कंपनियों की तरह ही काम कर रही थी. ये राजनीतिक पार्टी कागजों तक ही सीमित थी.


 

सवा सौ लोगों पर खर्च हुआ पार्टी का पैसा

आयकर विभाग को केशव नगर, किदवई नगर और काकादेव इलाके में हुई छापेमारी में पता चला है कि पार्टी का कानपुर में पंजीकृत पते के अलावा और कुछ भी पार्टी से संबंधित नहीं है. पार्टी की ना तो कोई राजनीतिक गतिविधि का साक्ष्य अधिकारियों को मिला, ना ही कोई पोस्टर या कागज. इस बाबत आयकर विभाग के अधिकारियों ने पूर्व पदाधिकारी ओमेंद्र सिंह का बयान भी दर्ज किया है, जिसमें ये बात भी पता चली है कि साल 2017 से 2021 तक पार्टी को 11 करोड़ के आसपास विभिन्न स्रोतों से चंदा मिला था. 

 

बैलेंसशीट में मिली कई खामियां
सूत्रों की माने तो आयकर अधिकारियों को ऑडिट बैलेंस शीट में तमाम खामियां मिली हैं. चंदा देने वालों का नाम पता कुछ नहीं मिला, तो कुछ से 15 लाख रुपये का चंदा मिला दिखाया गया है. आयकर विभाग काले धन को सफेद करने या आयकर छूट का लाभ उठाने समेत तमाम बिंदुओं पर जांच कर रही है. गुमनाम पार्टी को इतना चंदा किन लोगों ने कैसे दिया और उसका क्या इस्तेमाल किया गया इसकी भी छानबीन हो रही है. वहीं जन राज्य पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आवास से ढाई लाख रुपए आयकर अधिकारियों को मिला है जबकि केशव नगर में दिखाया गया पार्टी का कार्यालय कागजों तक ही सीमित मिला. 

 


 

6 साल पहले भी लगा था गंभीर आरोप

केशव नगर में पार्टी के पूर्व पदाधिकारी ओमेंद्र सिंह रहते हैं. इस बीच एक बड़ा खुलासा ये भी हुआ है कि 6 साल पहले ही पुलिस अगर सही से जांच करती तो ये मामला खोल सकती थी. दरअसल तब नौबस्ता थाने में पार्टी के रविशंकर सिंह, अभिषेक, कृष्णा के खिलाफ चंदे की बंदरबांट का एक केस दर्ज हुआ था. लेकिन पुलिस ने डेढ़ साल तक जांच के बाद केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. 


इस केस में पांच आरोपी बनाये गए थे जिनपर आर्थिक लाभ के लिए पार्टी का इस्तेमाल करने के आरोप लगे थे लेकिन पुलिस ने ये दावा किया कि केस दर्ज कराने वाले वादी ने सहयोग नहीं किया और साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए थे. आयकर की कार्रवाई से पुलिस के खेल और लापरवाही उजागर हो गई है. 

 

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