Kanpur News: सरकार शिक्षा के अधिकार (Right To Education) के तहत गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए निजी स्कूलों (Private School) पर भी आश्रित है. लेकिन कानपुर में राइट टू एजुकेशन के तहत अभी भी बड़ी संख्या में बच्चों को एडमिशन (Admission) नहीं मिल पाया है. पहले चरण में उन बच्चों के दाखिले का लक्ष्य रखा गया है, जिनकी शिकायतें लगातार जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग (Education Department) को मिल रही है. इसमें फातिमा कान्वेंट समेत कानपुर के चर्चित पब्लिक स्कूल शामिल है. ये प्रवेश इसी हफ्ते में पूरे कराए जाने हैं लेकिन गरीब बच्चों की स्कूलों में दाखिले की चाहत बड़ी मुश्किल लगती है। क्योंकि निजी स्कूलों का अड़ियल रवैया और शिक्षा विभाग के आदेशों की अनदेखी इसमें आड़े आ रही है.
शिक्षा विभाग के आदेशों की अनदेखी
कानपुर शहर के अगर निजी स्कूल फातिमा कान्वेंट का ही उदाहरण ले लिया जाए तो यहां खंड शिक्षा अधिकारी जब शिक्षा विभाग के द्वारा नोटिस देने पहुंचा तो उसे स्कूल के गेट के अंदर तक घुसने नहीं दिया गया. स्कूल प्रबंधन ने इतनी दबंगई दिखाई कि उसे स्कूल गेट से बैरंग लौटना पड़ा. कानपुर महानगर में 1343 पंजीकृत स्कूलों में 14868 अभिभावकों ने पंजीकरण कराया था. इसमें से 8077 छात्रों का प्रवेश होना है. जबकि अब तक केवल 2705 एडमिशन हो सके है. हालांकि इसमें कई विवादों में फंसे हुए हैं तीन चौथाई दाखिले शिक्षा के अधिकार के तहत बाकी है.
मनमानी पर उतरे निजी स्कूल
कानपुर बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह ने कहा कि स्कूल मनमानी कर रहे हैं इसके लिए उनको नोटिस भी दिया गया है. दरअसल कानपुर शहर में तमाम ऐसे स्कूल हैं जो प्रवेश ना लेने के लिए नाम, पता, जन्म तिथि या फिर आय प्रमाण पत्र में बार-बार त्रुटि को आधार बना रहे हैं. नियमों के तहत प्रवेश लिए जाएंगे लेकिन गड़बड़ी पाए जाने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को शिकायत करनी होगी. इस शिकायत पर विभाग जांच कर सत्यता देखेगा. कई स्कूल इसीलिए प्रवेश नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें 2017 से अब तक राइट टू एजुकेशन में लिए गए प्रवेश की फीस सरकार द्वारा नहीं दी गई है.
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सिस्टम के आगे लाचार माता-पिता
आलम ये है कि कानपुर का फातिमा कान्वेंट स्कूल अपने आप को अल्पसंख्यक संस्थान बता कर आरटीई के प्रवेश लेने से साफ-साफ इनकार कर रहा है.
इनका दावा है कि अल्पसंख्यक विद्यालयों पर आरटीई लागू नहीं होता है इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है. जब हम फातिमा कान्वेंट स्कूल में स्कूल प्रबंधन और प्रिंसिपल से बात करने पहुंचे तो उन्होंने इस पर बात करने से साफ इनकार कर दिया. स्कूल में प्रवेश को लेकर हठधर्मिता कई सारे विद्यालय दिखा रहे हैं. ऐसे ही गुरुबचन सिंह को देखिए अपने बच्चे को शिक्षा का अधिकार के तहत दाखिला दिलाना चाहते हैं लेकिन सरकारी सिस्टम ने इन्हें लाचार कर दिया.
कई विद्यालयों ने तो नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है. इसी तरह 10 विद्यालयों की पहचान की गई है जो प्रवेश नहीं ले रहे हैं डीएम खुद आरटीई में प्रवेश की निगरानी कर रहे हैं. लेकिन हाल यह है कि लक्ष्य के कुछ परसेंट ही बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिला पाने में सरकार और सरकारी मशीनरी सफल हो पा रही है.
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