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Kanpur Violence: जानिए- कौन है कानपुर हिंसा के लिए फंडिंग करने वाला मुख्तार बाबा, कैसे बना करोड़ों की संपत्ति का मालिक

Kanpur Violence: कानपुर हिंसा में फंडिंग करने वाला बाबा बिरयानी का मालिक मुख्तार बाबा पुलिस की गिरफ्त में है. एक वक्त था जब वो पिता संग साइकिल के पंचर ठीक करता था लेकिन आज अकूत संपत्ति का मालिक है.

Kanpur Violence: कानपुर (Kanpur) में 3 जून को नई सड़क पर हुए बवाल के मामले में मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी (Hayat Zafar Hashmi) की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी (SIT) ने दूसरी बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने इस बवाल की फंडिंग (Crowd Funding) के आरोप में बेकनगंज निवासी और बाबा बिरियानी (Baba Biryani) के मालिक हाजी मुख्तार अहमद उर्फ मुख्तार बाबा (Mukhtar Baba) को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. कई नोटिस के बावजूद मुख्तार बाबा एसआईटी के सामने पेश नहीं हो रहा था. बुधवार को जब वो कर्नलगंज थाने पहुंचा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया. एक वक्त था जब मुख्तार बाबा अपने पिता के साथ साइकिल के पंचर बनाता था, लेकिन आज वो अकूत संपत्ति का मालिक है.

कानपुर हिंसा में फंडिंग के आरोप में गिरफ्तारी

एसआईटी सूत्रों के मुताबिक हयात जफर हाशमी को रिमांड पर लिए जाने के बाद उसने मुख्तार बाबा, बिल्डर हाजी वसी दो अन्य बिल्डरों के नाम का खुलासा किया था. इन पर बवाल में सीधे तौर पर शामिल होने और फंडिंग का आरोप लगाया. हाजी वसी को बवाल के केस में आरोपी भी बनाया है. बाजार बंदी के बहाने पुलिस को टारगेट करके पर्दे के पीछे से कई रसूखदारओं ने हिंसा की साजिश रची थी. इस मामले में पुलिस ने जफर हाशमी, सुफियान राहिल और जावेद को जेल भेज चुकी है. दो बार रिमांड पर लेकर आरोपियों से पूछताछ भी की जा चुकी है. मुख्तार बाबा की भनक लगते ही मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में LIU और पुलिस सक्रिय कर दी गई है. ज्वाइंट सीपी आनंद तिवारी की माने तो एसआईटी जांच में मुख्तार बाबा के हिंसा में शामिल होने के पुख्ता साक्ष्य मिल चुके हैं. पुलिस मुख्तार बाबा के डी2 गैंग के गुर्गों के संपर्क में होने की जांच भी कर रही है.

जानिए कौन है मुख्तार बाबा
साल 1968 में मुख्तार बाबा के पिता मोहम्मद इरशाद अहमद उर्फ बाबा, बेकनगंज स्थित राम जानकी मंदिर की जमीन पर साइकिल पंचर बनाते थे. मुख्तार बाबा भी पिता के साथ काम करता था. इसके बाद उसने बिस्किट, बंद और मिठाई की छोटी सी दुकान खोली. मुख्तार बाबा ने 1992 के दंगों के बाद खूब कमाई की. मुख्तार ने हिस्ट्रीशीटर लाला हड्डी के एक खास साथी के साथ मिलकर प्रॉपर्टी का काम भी शुरू किया. पुराने मकानों विवादित जमीनों पर कब्जा कर उसे बेचना शुरू कर दिया. इस दौरान कई शत्रु संपत्तियों को भी बेचा गया. मुख्तार बाबा उस वक्त के शातिर गैंग रफीक शफीक से जुड़ गया था. पुलिस के अनुसार कई संपत्तियां डी2 गैंग के गुर्गों की मदद से मुख्तार ने खाली भी करवाई थी. कागजों में हेरफेर कर बेगमगंज के एक मंदिर की जमीन पर बाबा स्वीट्स के नाम से होटल खोल लिया. धीरे-धीरे उसने बाबा बिरयानी का अपना एक ब्रांड खड़ा कर लिया. हालांकि इस बीच प्रॉपर्टी विवाद के कई मामले थाने पहुंचे पर बाबा की गिरफ्तारी नहीं हुई. 

ऐसे बना अकूत संपत्ति का मालिक
मुख्तार बाबा को बुलंदी तक पहुंचाने में एक बैंक अधिकारी का भी हाथ रहा. चमनगंज की एसबीआई शाखा में कार्यरत एक अधिकारी ने नियम विरुद्ध उसे प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लाखों का लोन दिया. पहले उसने गममू खां का हाता में 300-400 गज का मकान खरीदा था. जिसे कटवाकर 50-50 गज के प्लॉट बनाए और उन्हें बेचकर पैसा कमाया. इस दौरान मुख्तार बाबा ने D2 गिरोह की मदद से कई मकान खाली करवाए. गड़बड़ झाले में एसबीआई के अफसर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. ये अधिकारी अब भी मुख्तार बाबा के संपर्क में हैं और अक्सर बाबा स्वीट्स में उठता-बैठता है.

बैंक की मिलीभगत लिया लाखों का लोन

इसी तरह बेकनगंज से शत्रु संपत्ति पर बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी मुख्तार बाबा को लाखों का लोन बिना किसी जांच-पड़ताल के दे दिया था. जिस पर एडीएम सिटी ने बैंक को नोटिस जारी कर सवाल जवाब किए थे. क्योंकि शत्रु संपत्ति की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती है ना ही उसे कोई अनुबंध कर लोन उठाया जा सकता है. बेगमगंज के बाद मुख्तार बाबा ने स्वरूप नगर, जाजमऊ में बिरयानी की दुकान खोली. इसके बाद मॉल्स में आउटलेट लिया और प्रयागराज, लखनऊ और वाराणसी में फ्रेंचाइजी दे दी. 

बाबा बिरयानी के नाम से हुआ मशहूर
मुख्तार ने बाबा स्वीट हाउस के नाम से दुकान खोली और उसकी बिरयानी इतनी सफल हो गई कि लोग उसे बाबा बिरियानी के नाम से जानने लगे. पुलिस के मुताबिक बाबा स्वीट हाउस शत्रु संपत्ति है जब मुख्तार के सामने ये बात आई तो उसने लोगों का और प्रशासन का ध्यान हटाने के लिए कानपुर हिंसा के मामले में हयात को फंडिंग कर दी. बताया जाता है कि बाबा बिरयानी का नाम देश ही नहीं विदेश में भी है. बाहर से आने वाले लोग खासतौर से बाबा बिरयानी खाने यहां पहुचते थे. बाबा बिरयानी बाहर भी भेजी जाती थी. कानपुर में शूटिंग करने आने वाले बॉलीवुड स्टार्स के जुबान पर भी बाबा बिरयानी का स्वाद सिर चढ़कर बोलता रहा और बड़े नेता और अधिकारियों के स्वादिष्ट व्यंजनों में भी ये शामिल होती रही. 

शत्रु संपत्ति पर कब्जे का भी आरोप
मुख्तार बाबा ने घोषित होने वाली दो शत्रु संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है. डॉक्टर बेरी चौराहा स्थित राम जानकी मंदिर ट्रस्ट और नाला रोड स्थित दारुल मौला पर मुख्तार का ही आधिपत्य है. मुख्तार बाबा ने मंदिर के अस्तित्व को ही खत्म कर दिया है. उस पर बिरयानी समेत अन्य दुकानें चल रही हैं. 99/14 राम जानकी मंदिर और नाला रोड स्थित दारुल मौला संपत्तियों को शत्रु घोषित करने की कवायद हो रही है. दोनों ही संपत्तियों पर मुख्तार बाबा का कब्जा है वहीं बाहर से चारों तरफ से बाबा बिरियानी का कब्जा हो चुका है.दारुल मौला वाली बिल्डिंग भी कई लोगों को बेच दी गई है. वहां पर कई लोगों को बसा दिया गया है और कई लोगों को जमीन किराये पर दी गई हैं जबकि दोनों संपत्तियों पर लगातार कस्टोडियन के निर्देश पर सुनवाई हो रही है. 

ज्वाइंट सीपी ने कार्रवाई की जानकारी

ज्वाइंट सीपी कानपुर आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि एसआईटी अपनी इन्वेस्टिगेशन कर रही है. हमने मुख्य अभियुक्त को रिमांड पर लिया था जिसके बाद विवेचना में जो आया है जो साक्ष्य हमारे सामने आए हैं उसके आधार पर कार्रवाई कर रहे हैं. आने वाले समय में पूरे केस में जो जांच है उसे जल्दी खत्म करने के लिए बाकी बची कार्रवाई कानून के हिसाब से की जाएगी. उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने मुख्तार बाबा को गिरफ्तार कर लिया है. विवेचना के संदर्भ में कई सारे सवालों के जवाब जानने हैं उन्हें क्रॉस एग्जामिन करना है. न्यायालय जैसा आदेश देगी वैसा काम करेंगे. 

कानपुर हिंसा का मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी के पीछे जिन लोगों ने फंडिंग की उसमें प्रमुख नाम मुख्तार बाबा का है. मुख्तार बाबा बहुत ही छोटे परिवार से ताल्लुक रखता था. मंदिर राम जानकी ट्रस्ट के सामने कभी साइकिल का पंचर बनाने वाला मुख्तार बाबा करोड़पति बन गया. पांच दशकों में उसने अकूत संपत्ति कमाई. साल 1978 में मुख्तार बाबा के पिता ने अपनी पत्नी के नाम रामजानकी ट्रस्ट को करवा लिया था. शत्रु संपत्ति के मामले में विवादित स्थान है जहां पर औने पौने दाम पर इसे खरीद कर इस पर कब्जा कर लिया गय. खबरों की मानें तो अंडरवर्ल्ड के लोगों को फाइनेंस करके बाबा बिरियानी की दुकान में बैठकर तमाम साज़िश की प्लानिंग और मीटिंग हुआ करती थी. 

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