Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक मुस्लिम महिला का कहना है जब वह नकाब (घूंघट) के ऊपर केसरिया रंग का स्टोल पहनती है तो उसे उसके परिवार और समुदाय के लोग परेशान और अपमानित करते हैं.


सिर पर केसरिया (भगवा) दुपट्टा लपेटकर पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंची महिला ने पत्रकारों से कहा, 'मैं उत्पीड़न और संपत्ति विवाद की चिंता को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गई थी. कई लोगों ने मुझसे कहा कि मैं अब एक हिंदू हूं और इसलिए शरिया कानून के अनुसार मैं किसी भी सहायता के पात्र नहीं हूं.''


मूलगंज क्षेत्र की पीड़िता ने 23 दिसंबर को भगवा दुपट्टा पहनकर मुख्यमंत्री को अपनी परेशानी से अवगत कराया था. उसने बताया था कि संपत्ति विवाद के चलते उसके भाई उसे घर से निकालना चाहते थे.


भाइयों ने उसे खाना देना बंद कर दिया
महिला ने अधिकारियों को मामले की सूचना दी थी. फिर, महिला ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप किया. मुख्यमंत्री से मुलाकात की तस्वीर वायरल होने से उसके लिए मुसीबत खड़ी हो गई है.


उसके भाइयों ने उसे खाना देना बंद कर दिया. इतना है कि उन्होंने उसके सर्दियों के सारे गर्म कपड़े और अन्य सामान ले लिया. इतनी सर्दी ने उसे केवल दुपट्टे के साथ छोड़ दिया.


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महिला ने कहा कि स्टोल पहनने पर उसका मजाक उड़ाया गया था. भाइयों ने उसके साथ मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया और वह फिलहाल अपनी मां के साथ रह रही है.


शहर के मौलवी अब्दुल कुद्दूस हाजी ने शुरू में महिला की मदद करने का वादा किया था. हालांकि, जब वह उनसे मिलने गई, तो उन्होंने दावा किया कि भगवा रंग में मुख्यमंत्री से मिलने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया है.


उन्होंने महिला को इस जगह से जाने का आदेश दिया, गालियां दी और जब उसने जीवित रहने के लिए मदद की गुहार लगाई तो उसे भगा दिया.


भाइयों से मिलने वाली सहायता भी बंद
इसके अलावा, उसके भाइयों से मिलने वाली सहायता भी बंद कर दी गई. उसे भोजन और कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ उसे अपने दोनों भाइयों से क्रमश से 3,000 रुपये और 2,000 रुपये मिलने थे.


घटना के बाद, उसने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी से शिकायत की और उसी के बारे में विरोध किया, लेकिन उन्होंने उसे यह कहकर टाल दिया कि चूंकि यह एक स्थानीय समस्या है, इसलिए शहर के मौलवी इसका ध्यान रखेंगे.


महिला ने पुलिस कमिश्नर के स्टाफ ऑफिसर अशोक कुमार सिंह को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया, 'महिला और उसके भाइयों के बीच पहले से ही अनबन चल रही है. उसने कई बार इसकी शिकायत की है. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की है.'


इस बीच मौलवी ने आरोप लगाया है कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. उन्होंने पूछा, ''मैं उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने जाने से रोकने के बारे में सोच भी कैसे सकता हूं.''