Kushinagar News: कुशीनगर के इस मदरसे में जमकर उड़ी नियमों की धज्जियां, जानिए- क्यों उठे संचालन पर सवाल
Kushinagar News: ये मदरसा 1989 से संचालित हो रहा है. इस मदरसे की अस्थाई मान्यता साल 1991 में मिली. 1996 में इस मदरसे की स्थाई मान्यता देते हुए मदरसे को वित्त पोषित कर दिया.
Kushinagar Madrasa News: योगी सरकार मदरसे के सत्यापन (Madrasa Survey) और उसकी जांच को लेकर लगातार आदेश जारी कर रही है लेकिन कुशीनगर (Kushinagar) में एक ऐसा मदरसा संचालित हो रहा है जो भूलेखों में ग्राम सभा की नवीन परती के नाम से दर्ज है. शिकायतकर्ता की जांच में लेखपाल की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि ग्राम सभा की गाटा संख्या 324 भूलेखों में नवीन परती के नाम से दर्ज है, इसी जमीन पर मदरसा संचालित हो रहा है. सबसे अहम बात यह है कि बिना संस्था के नाम से जमीन का हस्तांतरण हुए ही इस मदरसे की मान्यता दे दी गई और सरकार ने इसे अनुदान पर ले लिया. अध्यापकों और स्टाफ को सरकार से वेतन भी मिलने लगा.
किसी भी शिक्षण संस्थान की मान्यता के नियमों के मुताबिक पहली शर्त यही होती है कि जहां शिक्षण संस्थान संचालित हो रहा है वह जमीन संस्था के नाम से हस्तांतरित होनी चाहिए लेकिन यहां इसके इतर होकर मान्यता दे दी गई. इस पूरे मामले की गहनता से जांच हो जाए तो कई विभागीय अधिकारी इसके लपेटे में आएंगे. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन पूरे मामले में जांच रिपोर्ट अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड के रजिस्ट्रार को भेजने की बात कह रहे हैं और कार्रवाई वहीं के स्तर से होने की बात कह रहे हैं.
सालों से चल रहा है ये मदरसा
कुशीनगर जनपद के पडरौना तहसील के पटेरा गांव में मदरसा इस्लामिया फैजे साल 1989 से संचालित हो रहा है. इस मदरसे की अस्थाई मान्यता साल 1991 में मिली. 1996 में इस मदरसे की स्थाई मान्यता देते हुए मदरसे को वित्त पोषित कर दिया. इस मदरसे में कुल 16 शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकारी वेतन का भुगतान होने लगा. मदरसे की मान्यता की पहली शर्त के मुताबिक संस्था के नाम से उसकी अपनी जमीन होनी चाहिए लेकिन यह मदरसा यहीं से फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया. गाटा संख्या 324 ग्राम सभा की नवीन परती की जमीन पर विद्यालय भवन बनवाकर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इसकी मान्यता ले ली गई और बाद में इसे वित्तपोषित भी करा दिया गया.
फर्जीवाड़े की हद तो ऐसी है कि वर्तमान में भी यह मदरसा ग्राम सभा की जमीन पर ही संचालित हो रहा है और बकायदे सरकारी पैसे से अध्यापकों और स्टाफ की सैलरी भी दी जा रही है. शिकायत के बाद भी अधिकारी कार्रवाई की जगह वही हीलाहवाली वाला जवाब दे रहे हैं. मदरसे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ सहायक इलियास अंसारी ने बताया कि भूमि प्रबंधन समिति के प्रस्ताव पर मदरसे की मान्यता ली गई थी लेकिन भूलेखों में जिस जमीन पर मदरसा संचालित हो रहा है वह अभी नवीन परती के नाम से दर्ज है इस बात का वो जवाब नहीं दे सके.
जानिए अल्पसंख्यक विभाग का जवाब
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन बताते हैं कि एक अनुदान प्राप्त मदरसे की शिकायत हुई है. यह बीस-पच्चीस सालों से चल रहा है. ये मदरसा भूमि प्रबंधन समिति से प्रस्ताव लेकर संचालित हो रहा है. किस भूमि पर मान्यता ली गई है इसका डाटा अभी हमारे पास नहीं आई है. इनके मदरसे से कुछ दूरी पर इन सबकी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जा रही है. शासन स्तर से इसमें कार्रवाई होनी है. सरकारी जमीन पर मान्यता कैसे मिली के सवाल पर कन्नी काटते हुए उन्होंने कहा कि ये जांच कराई जाएगी. किस जमीन का पेपर लगाकर इन्होंने मान्यता ली है. नियम के मुताबिक बिना संस्था के नाम से जमीन हस्तांतरित हुए मान्यता नहीं दी जा सकती है.
ये भी पढ़ें- UP Politics: आजम खान की विधायकी छिनने से बढ़ सकती हैं सपा की मुश्किलें? जानें- क्या है विश्लेषकों की राय