Amethi News: अमेठी के मुंशीगंज स्थित संजय गांधी अस्पताल में एक विवाहिता की मौत के बाद अमेठी प्रशासन ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित कर दिया है. अस्पताल का लाइसेंस निलंबित होने के बाद अस्पताल में तैनात चार सौ से अधिक कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके अलावा अस्पताल में संचालित हो रहे नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल कॉलेज के छात्रों का भविष्य भी अधर में अटक गया है. फिलहाल अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने को लेकर कांग्रेस पूरी तरह मैदान में उतर चुकी है.
एक दिन पहले सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने अमेठी आकर भाजपा पर जमकर निशाना साधा था तो पूर्व एमएलसी दीपक सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएम से मुलाकात कर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन देते हुए अस्पताल को संचालित करवाने की मांग की. इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अमेठी की जनता की सहूलियत को देखते हुए अस्पताल के लाइसेंस को पुनः बहाल करने की मांग की है.
क्या था मामला?
दरअसल 14 सितम्बर को मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र के रामशाहपुर गांव के रहने वाले अनुज शुक्ला ने अपनी पत्नी दिया शुक्ला को पथरी का ऑपरेशन कराने के लिए भर्ती कराया था.15 सितम्बर को अस्पताल द्वारा आपरेशन के लिए एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया गया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई. परिजनों ने आरोप लगाया कि ओवरडोज की वजह से दिव्या कोमा में चली गई. 16 सितम्बर को देर रात संजय गांधी के डॉक्टरों ने को लखनऊ रेफर कर दिया जहां वेदांता अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. दिव्या की मौत के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने शव को अस्पताल के बाहर रखकर प्रदर्शन किया जिसके बाद अस्पताल के सीओओ अवधेश शर्मा समेत तीन डॉक्टरों पर धारा 304A के तहत मुंशीगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ.
जांच टीम ने निलंबित किया लाइसेंस
मामला बढ़ने के बाद सीएमओ अंशुमान सिंह ने डिप्टी सीएमओ राम प्रसाद, पीके उपाध्याय और एनेस्थेटिस्ट अभय गोयल के नेतृत्व में जांच टीम बनाई. जांच में मरीज को समय से रेफर न करने और इलाज में लापरवाही सामने आने पर अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए लाइसेंस को निलंबित कर दिया. अस्प्ताल का लाइसेंस निलंबित करने के बाद अस्प्ताल में तैनात चार सौ से अधिक कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है साथ ही अस्प्ताल परिसर में चल रहे नर्सिंग और पॉरमेडिकल कॉलेज के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है.
अस्पताल में नहीं था कार्डियोलॉजिस्ट- चिकित्सा अधिकारी
इस मामले में चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एक शिकायत मिली थी उसी के संदर्भ में दिव्या शुक्ला एक मरीज थी जिसकी पित्त की थैली में पथरी थी उसके ऑपरेशन के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एनेस्थीसिया के परीक्षण के दौरान ही वो बेहोश हो गई, उनकी हालत बहुत खराब हो गई. तत्त क्रम में उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया, इलाज किया गया, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. उनके परिजनों से शिकायत मिली थी, जिस पर उच्च स्तर से प्राप्त निर्देशों के क्रम में हमारे द्वारा एक तीन सदस्यीय टीम गठित की गई, उसमें सामने आया कि आईसीयू में मरीज को भर्ती करने के बाद उनके यहां कोई कार्डियोलॉजिस्ट नहीं था. मरीज का ईसीजी किया गया, उसके बाद भी काफी देर तक मरीज को रखा गया, इसमें अस्पताल प्रशासन की स्थिति आई है और कार्डियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण उनको रखना भी नहीं चाहिए था. इसी क्रम में हमारे द्वारा एक नोटिस दिया गया था, इसका रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया गया है. 20 मरीजों की हमारे पास उनकी लिस्ट आई है, उसमें कहा गया है कि उन मरीजों का समुचित इलाज करके उसके बाद आप कोई मरीज भर्ती न करें, और न ही देखे जाएं. अब ये 20 मरीज उपचारित हो जाए उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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