Lucknow News: लखनऊ KGMU में मंगलवार को काडर पुनर्गठन की मांग को लेकर कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी. जिसकी वजह से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. दूर-दराज इलाकों से आए मरीज और तीमारदार ओपीडी (OPD) के बाहर घंटों इंतजार करते रहे. कुल मिलकर शासन और कर्मचारियों के बीच चल रहे विवाद का खामियाजा हजारों मरीजों को उठाना पड़ रहा है. 


केजीएमयू में हड़ताल से मरीज परेशान
गाजीपुर से आई एक महिला ने बताया कि आज उसे बड़ी मुश्किल से ओपीडी में डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिला था. यहां पहुंची तो ओपीडी का गेट बंद मिला. अंदर कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. हरदोई से आए एक शख्स ने बताया कि पिता को इलाज के लिए लाये हैं, सुबह से इन्तजार कर रहे हैं कि डॉक्टर उन्हें देख लें लेकिन यहां ओपीडी बंद पड़ी है. कई मरीज तो एम्बुलेंस से KGMU पहुंचे और इलाज के आभाव में वापस लौट गए. 


काडर पुनर्गठन की मांग लेकर हड़ताल
इस पूरे मामले में KGMU के कुलसचिव आशुतोष द्विवेदी से एबीपी गंगा से बात की तो उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की जो मांग है पीजीआई के आधार पर सुविधाएं देने की 2016 से ही लंबित है. समय-समय पर उन्होंने आंदोलन किया तो एक-एक कर अब तक आठ कैडर का रिस्ट्रक्चर हो चुका है. कुल 42 कैडर हैं पीजीआई में. केजीएमयू कर्मचारी वही चाहते हैं. इससे पहले भी कई बार आंदोलन हुए लेकिन शासन से वार्ता कराकर हम इन्हें मरीज और जनहित में संतुष्ट कराते रहे हैं लेकिन इस बार यह नहीं मान रहे. 


गंभीर मरीजों को इमरजेंसी सर्विस के लिए भेजा


आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि एबीपी गंगा चैनल पर डिप्टी सीएम व् विभागीय मंत्री बृजेश पाठक के बयान से ही हमें जानकारी मिली है कि सीएम ने इस समस्या के समाधान के निर्देश दे दिए हैं. हमने इन बातों से अपने कर्मचारियों को अवगत करा दिया है लेकिन वो मान नहीं रहे हैं. अब इनकी प्रमुख सचिव से वार्ता कराएंगे, बुधवार से ओपीडी और मरीजों के हित में कोई बाधा ना आए ये प्रयास है. आज ये कोशिश कर रहे हैं कि जो गंभीर मरीज हैं उन्हें ट्रॉमा या अन्य इमरजेंसी सर्विसेस के लिए डायवर्ट कर दिया जाए, लेकिन सीमित लोग इसका लाभ ले पाते हैं. 


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लिखित आदेश की मांग
कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि कुलसचिव से वार्ता हुई है कि 5 लोग चलकर प्रमुख सचिव आलोक कुमार साथ बैठक कर ले उसके बाद निर्णय लीजिए. हमारा कहना ये है कि अभी तक कुलसचिव ही कहते थे कि ये मामला वित्त से संबंधित है. ऐसे में सिर्फ मुख्यमंत्री और एसीएस वित्त निर्णय ले सकते हैं प्रमुख सचिव नहीं ले सकते हैं तो उनके साथ बैठक करने का क्या फायदा. हमें लिखित आदेश चाहिए कि हमारी मांग मान ली गई है और इतने समय में हमारी मांगे पूरी हो जाएंगी. 


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