Lucknow News: उत्तर प्रदेश का राजधानी लखनऊ में अधिकारियों का बड़ा खेल सामने आया है. जिससे हड़कंप मच गया है. इन अधिकारियों को जैसे ही साल 2021 में डिफेंस कॉरिडोर के लिए भटगांव की जमीन अधीग्रहण करने की जानकारी मिली इन्होंने भ्रष्टाचार की नई कहानी लिख दी. खबर के मुताबिक परियोजना की जानकारी मिलने के बाद घपलेबाजों ने फर्जी आवंटी से 8 लाख रुपये में जमीन खरीदकर यूपीडा को 54 लाख रुपये में बेचकर सरकारी खजाने को चूना लगा डाला.
अधिकारियों और फर्जी आवंटियों के बीच किस तरह की मिली भगत हुई इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये पूरा खेला महज़ दस दिनों के अंदर ही हो गया. पहले तो फर्जी आवंटियों को जमीन बेचने का अधिकार दिलवाने और फिर उनसे घपलेबाजों का जमीन खरीदना और उस जमीन को यूपीडा को बेचने की प्रक्रिया इतनी तेजी से हुई जो सामान्यतः करने में काफी दिनों का समय लग जाता है. चंद दिनों में ही इन घपलेबाजों ने यूपीडा को चूना लगाकर लाखों रुपये के वारे न्यारे कर डाले.
जानें- कैसे अधिकारियों ने रचा खेला
जानकारी के मुातबिक परीदीन की पत्नी रामादेवी ने 4 जुलाई 2021 को अपना नाम खतौनी में दर्ज करवाने के लिए एसडीएम सरोजिनीनगर को अर्जी दी थी. 26 जुलाई को रजिस्ट्रार कानूनगो की रिपोर्ट को तहसीलदार ने एसडीएम को भेज दिया. फ़ाइल पर एसडीएम की कोई स्वीकृति व अनुमोदन नहीं है. इससे पहले की प्रक्रिया में लेखपाल की रिपोर्ट में 'कब्जा व दखल है' को अलग स्याही व लेखन से आगे बढ़ाया गया.
22 अक्टूबर 2021 को परीदीन के बेटे मुकेश, मनोज, धर्मेंद्र और पत्नी रामादेवी के नाम पर इसे दर्ज किया गया लेकिन इन्होंने संक्रमणीय घोषित होने से पहले ही बिना ज़मीन का कब्जा पाए इसकी ब्रिकी का अनुबंध कर दिया. इन लोगों को इस ज़मीन का पता तब चला जब डिफेंस कॉरिडोर का काम हुआ और लोग उनके घर आने लगे.
इसी तरह दुलारे के वारिसों का नाम भी 3 अगस्त 2021 को दर्ज किया गया और 18 दिन बाद 21 अगस्त को संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया गया और अगले महीने 25 सितंबर को वारिसानों ने ज़मीन को प्रतीक नाम के शख्स को पांच लाख रुपये में बेच दिया और प्रतीक ने इस ज़मीन को यूपीडा को बेचकर 20.20 लाख रुपये का मुआवजा ले लिया.
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