Mau News: उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद (MaU District) में सरयू नदी (Saryu River) में मिले 21 किलो चांदी के शिवलिंग (Shivling) को पूरे विधि विधान के साथ कोतवाली थाने के मालखाने से निकाला गया. जिसके बाद गाजे-बाजे और मंगल गीतों के साथ नगर भ्रमण किया गया. इस दौरान भगवान शिव के दर्शन करने के लिए तमाम पुलिसकर्मी और बड़ी संख्या में भक्त उमड़ पड़े. 16 जुलाई को ये चांदी का शिवलिंग मछुआरों को मिला था, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में रखा था. पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी जांच पड़ताल के बाद आज विधिवत पूजने के बाद देवालय में स्थापना कर दी गई.


21 किलो चांदी के शिवलिंग की स्थापना


इस शिवलिंग को श्री रजतेश्वर महादेव का नाम दिया गया है. बाबा मेलाराम लक्ष्मण घाट पर इस मंदिर में स्थापना की गई. इस दौरान दोहरीघाट थाने से लेकर घाट तक शिवभक्तों का हुजूम उमड़ा. चारों तरफ हर-हर महादेव के गगनभेदी नारे गूंजते रहे. मछुआरों को ये शिवलिंग सरयू नदी से मिला था. तभी से इसे थाने के मालखाने में रखा गया था.  रविवार को भारी संख्या में श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ थाना परिसर पहुंचे.


पूजा-पाठ और विधि-विधान से हुए विराजमान


थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने शिवलिंग की निरंतर पूजा करने वाली महिला सिपाही सचि सिंह और प्राची पांडेय को बुलाकर माल खाना खुलवाया. दोनों महिला सिपाहियों ने सजल नेत्रों से शिवलिंग को थानाध्यक्ष को सुपुर्द किया. थानाध्यक्ष शिवलिंग को सिर पर रखकर बैठक कक्ष में ले गए. वहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शिवलिंग का रुद्राभिषेक हुआ. विधिवत पूजन-अर्चन करने के बाद थानाध्यक्ष ने फिर से शिवलिंग को सिर पर रखकर रथ तक पहुंचाया. जिसके बाद महंत बाबा मेला राम ने थानाध्यक्ष से शिवलिंग लेकर रथ पर विराजमान किया. 


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भक्तिमय दिखा पूरा वातावरण
इस दौरान हर-हर महादेव के नारे गूंजने लगे. भारी संख्या में महिलाएं मंगल गीत गाने लगीं. गाजे-बाजे के साथ रथ नगर भ्रमण के लिए निकला. जगह-जगह फूलों की वर्षा होने लगी. चारों तरफ भक्तिमय वातावरण हो गया. नगर भ्रमण करते समय रथ को खींचने के लिए होड़ लगी हुई थी. जैसे ही रजत शिवलिंग परम तपस्वी मेला राम परिसर में पहुंचा इंद्रदेव भी प्रसन्न हो गए और पांच मिनट तक झमाझम बारिश हुई. सरयू नदी से मिले 21 किलो वजनी शिवलिंग को लक्ष्मण घाट के बाबा मेला राम परिसर में पूरे विधि विधान के साथ स्थापित किया गया. थानाध्यक्ष ने शिवलिंग को बाबा मेला राम सेवा समिति को सुपुर्द कर दिया क्योंकि चांदी के शिवलिंग पर किसी ने भी इतने दिनों में अपना अधिकार नहीं जताया था. 

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