Mayawati's Master Plan For 2024 Loksabha Election: आजमगढ़ उपचुनाव के नतीजों से उत्साहित बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अब मिशन 2024 यानी आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इस चुनाव के बाद बसपा को एक नई संजीवनी मिली है जिसके बाद मायावती फिर से पार्टी को लेकर काफी एक्टिव हो गई हैं. मायावती को लगता है कि अगर पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत किया गया तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत किया जा सकता है. जिसे देखते हुए पिछले दिनों मायावती ने लखनऊ दफ्तर में पार्टी के तमाम पदाधिकारियों के साथ बैठक की और संगठन को नए सिरे से धार देने को लिए मास्टर प्लान तैयार किया. 


प्रदेश प्रभारी व्यवस्था खत्म, जोन व्यवस्था शुरू


इस बैठक में बसपा सुप्रीमो ने प्रदेश प्रभारी व्यवस्था खत्म कर दी और राज्य को 6 भागों में बांटते हुए 3-3 मंडल का एक जोन बनाया गया. इन सभी जोनों पर 2-2 कोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं. जो आम लोगों के साथ पार्टी को जोड़ने का काम करेंगे. यही नहीं तमाम पदाधिकारियों को भी जोन में लगाया गया है. बैठक में मायावती ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि नई व्यवस्था के तहत लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू की जाए और ज्यादा से ज्यादा सक्रिय कार्यकर्ताओं को बनाया जाए. नई व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश को 6 जोनों में बांटा गया है, जिसके लिए पदाधिकारियों की भी नियुक्ति कर दी गई है, 


मिशन 2024 के लिए बसपा का प्लान 


जोन-1 में मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद के लिए राजकुमार गौतम और नौशाद अली को जिम्मेदारी दी गई है. 


जोन- 2 में आगरा, बरेली अलीगढ़ को शामिल किया गया है जिसकी जिम्मेदारी मुनकाद अली और सूरज सिंह के पास है.


जोन- 3 में कानपुर, झांसी, चित्रकूट के लिए बीपी अंबेडकर, विजयप्रताप को जिम्मेदारी दी गई 


जोन- 4 में गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन के लिए सुधीर भारती, दिनेश चंद्रा को नियुक्त किया गया है. 


जोन- 5 में अयोध्या आजमगढ़ वाराणसी के लिए शम्सुद्दीन राइन और मदन राम और


जोन- 6 में लखनऊ, प्रयागराज, मिर्जापुर में घनश्याम चंद खऱवार और अखिलेश अंबेडकर को जिम्मेदारी दी गई है. 


बड़े स्तर पर किए बदलाव


बसपा सुप्रीमो ने जो फेरबदल किया है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश प्रभारी का पद खत्म कर अब उन्हें जोन में लगाया गया है. पार्टी की जिला और विधानसभा कमेटी अब बूथ पर सदस्यता अभियान चलाएगी और ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने के लिए काम किया जाएगा. जोन कोऑर्डिनेटर भी बूथ स्तर पर काम करेंगे. इसके साथ ही 18 मंडलों के पदाधिकारियों को 90 दिनों के भीतर 1 करोड़ नए एक्टिव सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है. 


जानिए मायवती के आत्मविश्वास की वजह


पहले लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली हार के बाद मायावती के इस आत्मविश्वास की वजह आजमगढ़ उपचुनाव है. जहां बसपा के वोट बैंक में पहले से बढ़ोतरी देखी गई है. बसपा यहां भले ही हार गई हो लेकिन वोट प्रतिशत में उछाल आया है. आजमगढ़ में जीतने वाली बीजेपी को 34 फीसदी वोट मिले हैं तो वहीं दूसरे नंबर पर रही सपा को 33 फीसद वोट मिले और तीसरे नंबर पर रही बसपा को 29 फीसदी वोट मिले हैं. माना जा रहा है कि यही वजह है कि मायावती अब पहले से ज्यादा एक्टिव नजर आ रही हैं. 


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जमीनी स्तर पर उतरने की तैयारी


बसपा सुप्रीमो और पार्टी के कार्यकर्ता मानकर चल रहे हैं कि अगर एक बार फिर से पार्टी जमीनी स्तर पर लड़ाई लड़ेगी और मतदाताओं के साथ जुड़ेगी तो आने वाले चुनाव में पार्टी को बेहतर नतीजे मिल सकते हैं. इसके साथ ही मायावती एक बार फिर दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों के सहारे आगे बढ़ने की तैयारी में है. पार्टी का मानना है कि जिस तरह से बीजेपी मंडल प्रमुख, पन्ना प्रमुख, बूथ प्रमुख के जरिए जमीन तक वोटरों से जुड़ती है उसी तर्ज पर बसपा के कार्यकर्ता भी जमीन पर उतरकर पार्टी को मजबूत बनाएं. 


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