Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब जरुरी दवाओं की किल्लत बढ़ रही है. कई जगह मजबूरन मरीजों के लिए बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है. वहीं इस समस्या को लेकर शासन स्तर पर भी स्वास्थ्य विभाग एक्शन मोड में आ गया है. गौरतलब है कि इन हालात से निपटने और दवाओं की आपूर्ति जरुरत के अनुसार सुनिश्चित कराने के लिए सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की अहम बैठक हुई. इसमें दवाओं की आपूर्ति की जिम्मेदारी निभाने वाली यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के एमडी, एनएचएम के अधिकारी, डीजी हेल्थ, फैमिली वेलफेयर और अधिकारी शामिल हुए. 


चार महीने से चल रही है दवाओं की किल्लत
वैसे तो सरकारी दवाओं और इंजेक्शन को लेकर यह संकट पिछले करीब 4 महीने से चल रहा है लेकिन अब किल्लत और ज्यादा बढ़ गई है. गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में दवा आपूर्ति का जिम्मा यूपी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन पर है. हालांकि कॉर्पोरेशन मांग के अनुसार दवा की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है. 


इन दवाओं की है ज्यादा किल्लत


  • एंटीबायोटिक: एमॉकसिक्लेव, सिफिग्जिम, सिप्रोफ्लॉक्सासिन 500 एमजी

  • कैल्शियम सिरप

  • पेशाब संबंधी दवा: एल्कासोल

  • पाइल्स की क्रीम- एनोविट

  • बीपी की दवा- लोसारटैन 50

  • इसके अलावा न्यूरो की दवा, डायलिसिस फ्लूइड, शुगर की कुछ दवा की किल्लत

  • इंजेक्शन में किल्लत: टिटबैक, रेनटेक, परसिटोमोल, डोपामाइन, विटामिन के आदि


दवाओं की किल्लत को लेकर यूपी डीजी हेल्थ ने क्या कहा?
दवाओं की किल्लत को लेकर डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह ने कहा की दो साल कोरोना काल के बाद सरकारी अस्पताल में मरीज बढे तो दवा की खपत बढ़ी है. दवाओं की किल्लत दूर करेंगे. इसे लेकर बैठक हुई है और कल भी होगी. प्रोक्योरमेंट की समस्या है जिस पर सप्लाई कार्पोरेशन काम कर रहा है. इसके अलावा वेयर हाउस से दवाएं जल्द अस्पताल पहुंचे इस पर काम कर रहे हैं. जरुरी दवाओं के लिए कुछ पैसा लोकल परचेस के लिए दिया जाता है. क्रय प्रक्रिया में समय लगता है. जल्द उसमें सुधार होगा और समस्या दूर होगी. हमारी एसेंशियल दवाओं की सूची में 292 नाम हैं. लेकिन फिलहाल इनमे से 126 दवाओं पर अधिक फोकस है की उनकी सभी जगह पर्याप्त उपलब्धता हो जाये.

 

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