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UP News: योगी के मंत्री गिरीश चंद्र यादव का अखिलेश पर तंज, बोले- 'उनका दिमागी संतुलन गड़बड़ा गया है'
UP News: यूपी विधान परिषद के उपचुनाव में सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा खारिज होने के बाद खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने अखिलेश यादव पर तंज कसा और कहा कि उनका दिमागी संतुलन खराब हो गया है.
Ayodhya News: यूपी विधान परिषद के उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की तरफ से आदिवासी प्रत्याशी कीर्ति कोल (Kriti Kol) का पर्चा खारिज हो गया है क्योंकि आयु अहर्ता से 2 वर्ष कम निकली है. विधान परिषद सदस्य के निर्वाचन के लिए कम से कम 30 वर्ष आयु होनी चाहिए जबकि कीर्ति की उम्र उनके सर्टिफिकेट के मुताबिक सिर्फ 28 साल है. इससे एक ओर जहां सपा (SP) को झटका लगा है तो वहीं बीजेपी (BJP) के 2 उम्मीदवारों का विधान परिषद में पहुंचने का रास्ता भी साफ हो गया है. जिसे लेकर अब खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने सपा पर तंज कसा और कहा कि अखिलेश का दिमागी संतुलन खराब हो गया है.
अखिलेश यादव पर कसा तंज
अयोध्या में खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव अखिलेश यादव पर जमकर कटाक्ष किया, और कहा कि उन्हें इस बात का ही नहीं पता कि उम्र की क्या सीमा है, कितनी उम्र तक का पर्चा भरा जा सकता है. यह सब नकारात्मक सोच की वजह से हुआ है. जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब भी सारे नियमों कानूनों की धज्जियां उड़ा कर काम किया गया. अखिलेश यादव कल ये भी कह सकते हैं कि सर्टिफिकेट भी फर्जी बन गया. जब भी ऐसी कोई बात होती है वह ईवीएम, बीजेपी और सरकार को दोष देते हैं. 2014 से वो लगातार चुनाव हारते आ रहे हैं इसलिए उनका दिमागी संतुलन गड़बड़ा गया है.
अखिलेश अब तक सारे चुनाव हारे
खेल मंत्री ने कहा कि दिग्गज लोग होना बड़ी बात नहीं है सोच और समझ होना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. अखिलेश यादव को इस बात का अध्ययन करना चाहिए था कि किसको हम चुनाव मैदान में उतार रहे हैं. उसकी आयु सीमा क्या है. एक तरह से ये कहा जा सकता है कि सोच समझ ना होने की वजह से जनता का विश्वास उठ गया है. सीएम बनने के बाद 2014 में लोकसभा का चुनाव हार गए, उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जिला प्रशासन उनके हाथ में था शासन पूरा उनके हाथ में था तब भी चुनाव हार गए और 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गए, 2019 में भी हारे 2022 में भी हारे. उन्हे हमेशा हार का सामना करना पड़ा है
खेल मंत्री ने कहा कि दिग्गज लोग होना बड़ी बात नहीं है सोच और समझ होना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. अखिलेश यादव को इस बात का अध्ययन करना चाहिए था कि किसको हम चुनाव मैदान में उतार रहे हैं. उसकी आयु सीमा क्या है. एक तरह से ये कहा जा सकता है कि सोच समझ ना होने की वजह से जनता का विश्वास उठ गया है. सीएम बनने के बाद 2014 में लोकसभा का चुनाव हार गए, उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जिला प्रशासन उनके हाथ में था शासन पूरा उनके हाथ में था तब भी चुनाव हार गए और 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गए, 2019 में भी हारे 2022 में भी हारे. उन्हे हमेशा हार का सामना करना पड़ा है
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विनोद बंसलवीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता
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