भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बिहार (Bihar) में किसानों की हालत को देखते हुए बिहार सरकार को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने बिहार सरकार से साल 2005 से बंद पड़ी मंडी (बाजार समिति) को फिर से खुलवाने की मांग की है. टिकैत ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और भारतीय किसान यूनियन (BKU) वहां जाकर अगर आंदोलन की जरुरत पड़ी तो आंदोलन भी करेगी.
दरअसल बिहार में 2005 में मंडी ( बाजार समितियों ) को नीतीश सरकार द्वारा बंद करा दिया गया था. जिसके चलते राकेश टिकैत ने बिहार सरकार को एक चिट्ठी लिखकर कहा है की बिहार की मंडियां को फिर से खोला जाना चाहिए. राकेश टिकैत की माने तो आज की तारीख में बिहार का किसान देश में सबसे ज़्यादा बर्बाद किसान है. वहां के किसानों की कोई भी फसल वहां नहीं बिकती है. व्यापारी गांव-गांव जाकर किसानों की फसल को सस्ते दामों पर खरीदता है जो कि वहां के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है.
दरअसल बिहार में 2005 में मंडी ( बाजार समितियों ) को नीतीश सरकार द्वारा बंद करा दिया गया था. जिसके चलते राकेश टिकैत ने बिहार सरकार को एक चिट्ठी लिखकर कहा है की बिहार की मंडियां को फिर से खोला जाना चाहिए. राकेश टिकैत की माने तो आज की तारीख में बिहार का किसान देश में सबसे ज़्यादा बर्बाद किसान है. वहां के किसानों की कोई भी फसल वहां नहीं बिकती है. व्यापारी गांव-गांव जाकर किसानों की फसल को सस्ते दामों पर खरीदता है जो कि वहां के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है.
राकेश टिकैत ने शेयर किया वीडियो
बिहार के किसानों की इस समस्या को लेकर राकेश टिकैत ने अपनी एक वीडियो शेयर की है. इस वीडियो में उन्होंने बताया कि उनकी चिट्ठी बिहार सरकार को मिल गई है और वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वो बाजार समिति पर विचार करेंगे. राकेश टिकैत ने इस वीडियो में ये भी बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन की ये मांग है की बिहार की मंडिया ( बाज़ार समितियाँ ) खुलनी चाहिए इस विषय पर हम सरकारों से बातचीत भी करेंगे और आंदोलन की जरुरत पड़ी तो वो भी करेंगे.
नीतीश कुमार ने दिया ये भरोसा
टिकैत की माने तो जो चिट्ठी बिहार के मुख्यमंत्री जी को लिखी है वो उनको मिल गई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले पर विचार करने का भरोसा भी दिया है. बिहार में 2005 से बाजार समितियां बंद है जो वहां का मंडी सिस्टम है. हम इसको खोलने पर बातचीत करेंगे. बिहार को बाजार समितियां मिलनी चाहिए. यहां का किसान देश का सबसे ज्यादा बर्बाद किसान है. वो धान 800 रुपये और 12 रुपये क्विंटल बेचते हैं. उनकी कोई फसल वहां नहीं बिकती. गेंहू सस्ता बिकता है और जो सूरजमुखी है वो सस्ती बिकती है.
राकेश टिकैत ने कहा कि बिहार के किसान दालें पैदा करते हैं. बाजार समिति नहीं होने की वजह से व्यापारी किसानों की फसलों को कम दामों में खरीदते हैं और महंगे दामों में बेचते हैं. मुख्यमंत्री से हमारा यही कहना है कि आप इन्हें खोलें इस पर बातचीत करें. हम भी बिहार में आएंगे, वहां के लोगों से बातचीत करेंगे. भारतीय किसान यूनियन की संयुक्त किसान मोर्चा की ये बड़ी डिमांड है. बिहार की किसान समितियां खुलनी चाहिए जो नीतीश कुमार जी ने 2005 में बंद की थी उसको चालू करें. उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर सरकार से बात करेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे.
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