Navrati 2022: मां शाकंभरी देवी सिद्ध पीठ में पूरी होती है हर मनोकामना, भक्तों ने आंखों से देखा है चमत्कार
Maa Shakambari Temple: सहारनपुर में मां शाकुंभरी देवी सिद्धपीठ देश के 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है. मां शाकुंभरी के दरबार में लाखों लोग नवरात्र में मां के दर्शनों के लिए आते हैं.
Shardiya Navrati 2022: यूपी के सहारनपुर (Sahranpur) में जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर शिवालिक (Shivalik) पर्वत श्रृंखलाओं के बीच में स्थित मां शाकंभरी देवी सिद्धपीठ (Maa Shakambari Temple) देश के 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है. मां शाकंभरी के दरबार में लाखों लोग नवरात्रों (Navrata) में मां के दर्शनों के लिए आते हैं. चारों तरफ से शिवालिक की पहाड़ियों और वनों से घिरे इस मंदिर में मां शाकंभरी के साथ-साथ मां भीमा देवी (Bhima Devi), मां भ्रामरी देवी (Bhramari Devi) व मां शताक्षी देवी (Shatakshi Devi) की भव्य प्रतिमा स्थापित है.
मां शाकंभरी देवी की महिमा न्यारी
मां शाकंभरी देवी सिद्धपीठ की मान्यता के बारे में पुजारी निपुण शर्मा ने बताया की मां शाकंभरी 51 शक्तिपीठों में से एक है और मां दुर्गा का स्वरूप हैं. यहां पर मां शाकंभरी साक्षात प्रकट हुई थी. यहां मां शाकंभरी के साथ-साथ मां भीमा देवी, मां भ्रामरी और मां शताक्षी के चार स्वरूप विराजमान हैं. शिवालिक की तलहटी में ये मंदिर स्थित है. यहां मां ने दुर्गम नाम के राक्षस का स्तंभन किया था. जब इस क्षेत्र में सूखा पड़ा और सब जंगल और खेत सूख गए. तब मां दुर्गा ने मां शाकंभरी का रूप लिया और मां शताक्षी ने अपने हजारों नेत्रों से यहां पर वर्षा की तभी से क्षेत्र में हरियाली हुई और साग-सब्जी पैदा होने लगी. यही वजह है कि आज भी माता को प्रसाद के साथ यहां सब्जी चढ़ाई जाती है.
भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं मां
पुजारी जी ने बताया कि रानी देवलता के पुरखों के समय से ही यह मंदिर स्थापित किया गया और यहां पर तभी से पूजा अर्चना होती आ रही है. मंदिर साल भर दर्शनों के लिए खुला रहता है. साल भर में यहां चार मेले लगते हैं जिनमें दो नवरात्रों के अवसर पर, एक होली के अवसर पर और एक भाद्रपद पर लगता है. मेलों में लाखों श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए आते हैं, मां शाकुंभरी के दरबार में दूर-दूर से अन्य राज्यों से लोग दर्शनों के लिए आते हैं. आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोग मां शाकंभरी को अपनी कुलदेवी भी मानते हैं और अपनी मुराद मां के सामने मांगते हैं. बहुत से श्रद्धालु पैदल तो कई लेटकर मां के दरबार तक हाजिरी लगाते हैं. मन्नत पूरी होने पर बहुत से श्रद्धालु यहां पर भंडारे आयोजित करते हैं.
मां से पहले क्यों जरूरी हैं भूरा देव के दर्शन
माता शाकंभरी मंदिर के साथ-साथ जंगलों में व पहाड़ों की चोटियों पर अन्य प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित हैं जिनमें से एक भूरा देव का मंदिर है जो माता के मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर पहले स्थित है. माता के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालु पहले भूरा देव के दर्शन करने के उपरांत माता के दर्शनों के लिए जाते हैं. भूरा देव मंदिर के पुजारी राजेंद्र प्रसाद ने भूरा देव के दर्शन पहले क्यों किया जाते हैं इसको लेकर बताया कि भूरा देव माता के भक्त थे. माता ने इनको वरदान दिया है इसलिए पहले दर्शन कर श्रद्धालु यहां पर प्रसाद चढ़ाते है और उसके बाद माता के दर्शन के लिये जाते है. यहां पर बहुत दूर-दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं.
दूर-दूर से मां शाकंभरी के मंदिर आते हैं भक्त
मां शाकुंभरी देवी की महत्ता का अंदाजा श्रद्धालुओं के भाव से ही लगाया जा सकता है कि दूर-दूर से आए श्रद्धालु बाढ़ जैसी कठिन परिस्थिति होने के बावजूद मां के दरबार में पहुंच रहे हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी लोग माता के दर्शनों के लिए आते रहे हैं, कई श्रद्धालु तो मन्नत मांगने के लिए व कई मन्नत पूरी होने पर माता के दरबार में लेट कर पहुंच रहे हैं.
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भक्तों में ऐसी हैं मां शाकंभरी को लेकर मान्यता
दिल्ली से अपने परिवार के साथ आए एक 90 वर्षीय बुजुर्ग सुरेश चंद बंसल ने बताया कि वह कभी बैलगाड़ी में बैठकर मां के दर्शनों के लिए आया करते थे और उन्होंने मां का चमत्कार इसी दरबार में अपनी आंखों से देखा है. उन्होंने बताया कि दर्शनों के लिए आए एक भक्त की यहां सोने की चैन खो गई जिस पर वो मां के सामने चिल्लाने लगा कि आज मां मैं तुम्हारे दरबार में मरूंगा, मैं तेरा भगत और मेरी चैन टूट गई तभी वहां कोई आया और उसने कहा कि पैसा इस व्यापार में लगा देना और उसके बताएं व्यापार में पैसा लगाने से उनका नुकसान पूरा हो गया. आज भी वो बहते पानी के बीच 4 किलोमीटर पैदल चलकर माता के दर्शनों के लिए पहुंचे हैं.
मुराद पूरी करने आते हैं श्रद्धालु
हरियाणा से आए श्रद्धालु राजपाल ने मां शाकुम्भरी की महत्ता को लेकर बताया कि बचपन से ही वो अपने माता-पिता के साथ यहां आते रहे हैं. माता की हमारे ऊपर बड़ी कृपा है और हमारे मन की हर मुराद माता पूरी करती हैं. जो सच्चे मन से आता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती है. लॉक डाउन में यहां पर रुकावट रही और वो नहीं आ पाए लेकिन जब दर्शन खुल गए हैं तो वो यहां आएं हैं.
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