यूपी में होटल, ढाबों और रेस्तरां पर नए आदेश से बिफरे विपक्षी दल, सपा ने उठाए सवाल, जानें- क्या कहा?
UP में होटल, रेस्तरां और ढाबों को लेकर योगी सरकार के नए आदेश से राज्य की सियासत गर्म हो गई है. अब इस पर कांग्रेस और सपा ने आपत्ति दर्ज कराई है.
UP New Rule For Hotels: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में खाद्य पदार्थों में थूकने और मूत्र मिलाने की घटनाओं का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को निर्देश दिया कि सभी खाद्य केन्द्रों पर संचालकों, मालिकों और प्रबंधकों का नाम और पता अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि शेफ और वेटर को मास्क और दस्ताने पहनने चाहिए, इसके अलावा होटल और रेस्तरां में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि यहां एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मानव अपशिष्ट की उपस्थिति घृणित है और उन्होंने मानव अपशिष्ट या गंदी चीजों से खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया.
सहारनपुर जिले में 12 सितंबर को एक भोजनालय में रोटी बनाते समय एक किशोर द्वारा उस पर थूकने का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसके बाद भोजनालय के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया.
पिछले हफ्ते गाजियाबाद जिले में जूस विक्रेता को ग्राहकों को मूत्र मिला हुआ फलों का जूस देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जून में नोएडा में दो लोगों को कथित तौर पर थूक से दूषित जूस बेचने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
ऐसी घटनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट एवं इससे संबंधित प्रतिष्ठानों की गहन जांच एवं सत्यापन के निर्देश भी दिए हैं.
अधिनियम में आवश्यक संशोधन हों- सीएम
आदियानाथ ने कहा, 'ढाबों, रेस्तरां और खाद्य प्रतिष्ठानों की गहन जांच की जानी चाहिए और प्रत्येक कर्मचारी का पुलिस सत्यापन किया जाना चाहिए और खाद्य पदार्थों की शुद्धता और पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम में आवश्यक संशोधन भी किए जाने चाहिए.'
योगी ने बैठक में कहा,' हाल के दिनों में देश के विभिन्न क्षेत्रों में जूस, दाल और रोटी जैसी खान-पान की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट, अखाद्य और गंदी चीजों की मिलावट की घटनाएं देखने को मिली हैं. ऐसी घटनाएं वीभत्स हैं और आम आदमी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली हैं. ऐसे कुत्सित प्रयास कतई स्वीकार नहीं किया जा सकते.'
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस प्रबंध किए जाने आवश्यक हैं. ऐसे ढाबों, रेस्टोरेंट आदि खान-पान के प्रतिष्ठानों की जांच की जानी आवश्यक है.
योगी ने कहा कि प्रदेशव्यापी सघन अभियान चलाकर इन प्रतिष्ठानों के संचालक सहित वहां कार्यरत सभी कर्मचारियों का सत्यापन किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, पुलिस व स्थानीय प्रशासन संयुक्त टीम द्वारा यह कार्यवाही शीघ्रता से सम्पन्न कराई जाए.
इस बीच आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्रा 'दयालु' ने कहा, 'आदेश जारी कर दिया गया है कि सभी दुकानों की जांच की जाएगी, सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, भोजनालयों के कर्मचारियों को मास्क और दस्ताने पहनने होंगे. पहचान छिपाने से क्या फायदा?'
विपक्षी दलों ने क्या कहा?
विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है. लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा, 'इस कदम का उद्देश्य दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की बिक्री कम करना और उनकी दुकानें बंद करवाना है. इसलिए यह तानाशाही कदम उठाया गया है.'
उन्होंने कहा,' 2022 के उप्र विधानसभा चुनाव में सपा ने वादा किया था कि वह समाजवादी कैंटीन लाएगी, जहां 10 रुपये में साफ और पर्याप्त भोजन मिल सकेगा. अगर मुख्यमंत्री की मंशा सही है तो सरकार को दुकानें और ढाबे खोलने चाहिए, जहां एक व्यक्ति को 10 रुपये में भरपेट भोजन मिल सके.'
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने कहा, 'होटल,रेस्टोरेंट के मालिक की नेम प्लेट में जीएसटीआईएन नंबर पर पहले से ही सारी जानकारी दर्ज है और सरकार के पास भी है. और जहां तक खाद्य पदार्थों की बात है, तो उनकी जांच होनी चाहिए. हर दुकान से हर महीने पैसे लेने की गलत प्रथा को सबसे पहले ठीक किया जाना चाहिए.'